डीआर काँगो में बाढ़ से जान-माल की हानि, यूएन प्रमुख ने जताया शोक
डीआरसी की राजधानी किन्शासा समेत कुछ अन्य प्रान्तों में बाढ़ के कारण घर और कृषि भूमि बर्बाद हो गई है, और स्कूलों व सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को भी नुक़सान पहुँचा है.
यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने बुधवार को कहा, “महासचिव ने पीड़ितों के परिजनों, सरकार और आम लोगों के प्रति अपनी सम्वेदना प्रकट की है.”
उन्होंने घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना की है और देश के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की है.
समाचार माध्यमों के अनुसार, बाढ़ के कारण अब तक 120 लोगों की मौत हुई है और शहरी इलाक़ों की अनेक प्रमुख सड़कें डूब गई हैं. बड़ी संख्या में घर ढह गए हैं और पहाड़ी इलाक़ों में भूस्खलन भी हुआ है.
ख़बरों के अनुसार, कुछ इलाक़े पूरी तरह से कीचड़ भरे जल में डूबे हुए हैं, और प्रभावित इलाक़ों में किन्शासा को देश के मुख्य बन्दरगाह मतादी से जोड़ने वाला राजमार्ग भी है.
मौजूदा हालात को ध्यान में रखते हुए, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य की सरकार ने देश में तीन-दिवसीय राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है.
डीआरसी के राष्ट्रपति फ़ेलिक्स थिसेकेडी ने बाढ़ से हुई बर्बादी के लिये, जलवायु परिवर्तन को दोषी ठहराया है.
उन्होंने कहा कि प्रदूषण के लिये ज़िम्मेदार देशों के कारण हानिकारक नतीजे सामने आते हैं, जबकि उनके देश के पास अपना बचाव करने के लिये संसाधन उपलब्ध नहीं हैं.
संकट में घिरा देश
मानवीय राहत प्रयासों में संयोजन के लिये यूएन कार्यालय (OCHA) ने अनेक मर्तबा कहा है कि काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, विश्व के बेहद जटिल और लम्बे समय से चले आ रहे मानवीय संकटों में है.
इस वर्ष अब तक देश में दो करोड़ 70 लाख लोगों को मानवीय सहायता व संरक्षण की आवश्यकता होने का अनुमान है.
काँगो नदी के तट पर बसे किन्शासा शहर की आबादी डेढ़ करोड़ है और यह अफ़्रीका में सबसे घनी आबादी वाली राजधानियों में से एक है.
बड़ी संख्या में लोगों ने ऐसे इलाक़ों में अपनी झुग्गी-झोपड़ी बनाई हैं, जोकि बाढ़ की दृष्टि से सम्वेदनशील हैं. इसके अलावा, शहर में पर्याप्त जल निकासी व सीवर की समुचित व्यवस्था का भी अभाव है.