अंडमान सागर में फँसे 190 हताश लोगों को बचाने की पुकार
एशिया व प्रशान्त क्षेत्र के लिये यूएन एजेंसी के निदेशक इन्द्रिका रैटवटे ने कहा कि महिलाओं, पुरुषों व बच्चों की यह स्तब्ध कर देने वाली व्यथा है और इस त्रासदी को जारी नहीं रहने देना होगा.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, समुद्री जलक्षेत्र में ये लोग पिछले एक महीने से गम्भीर परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं.
उनके पास पर्याप्त भोजन व पानी का अभाव है और क्षेत्र में स्थित देशों ने उन तक सहायता पहुँचाने के लिये कोई प्रयास नहीं किये हैं.
पीड़ितों में बड़ी संख्या महिलाओं व बच्चों की है, और इस बेहद जोखिम भरी यात्रा के दौरान क़रीब 20 लोगों की मौत होने की आशंका है.
यूएन एजेंसी निदेशक ने कहा कि क्षेत्र में स्थित देशों को ज़िंदगियाँ बचाने और लोगों की मौत होने से रोकना होगा.
इस नाव को पहली बार थाईलैंड के जलक्षेत्र में देखा गया था, जिसके बाद से यूएन शरणार्थी एजेंसी को इसके इंडोनेशिया के पास देखे जाने, और फिर भारत में अंडमान व निकोबार द्वीप समूह के तट के पास होने की अपुष्ट जानकारी मिली है.
बताया गया है कि यह फिर से पूर्वी दिशा की ओर बढ़ गई और इंडोनेशिया के आचे प्रान्त के पास अंडमान सागर मे देखी गई है.
यूएन शरणार्थी एजेंसी ने क्षेत्र में देशों से समुद्र में फँसे लोगों की जीवन रक्षा को प्राथमिकता के तौर पर लेने का आग्रह किया है.
इसी सप्ताह, शरणार्थी संगठन ने भारत के समुद्री बचाव केन्द्र से लोगों को सुरक्षित उतरने देने की अनुमति देने का अनुरोध किया था.
निदेशक इन्द्रिका रैटवटे ने कहा कि यह देखना अत्यंत दुखद है कि अनेक लोगों का जीवन समाप्त हो गया है, जिनमें बच्चे भी हैं.
समुद्री क्षेत्र में जानलेवा वर्ष
यूएन शरणार्थी एजेंसी के लिये सूचना की पुष्टि कर पाना बहुत कठिन है, मगर आशंका व्यक्त की गई है कि बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर में इस वर्ष मृतक व लापता का आँकड़ा 200 के आसपास है.
इस वर्ष जनवरी महीने से अब तक, क्षेत्र में दो हज़ार से अधिक व्यक्तियों द्वारा जोखिम भरी समुद्री यात्राओं पर जाने की सम्भावना है, और मृतक व लापता लोगों की संख्या इसका 10 प्रतिशत है.
यूएन एजेंसी ने कहा कि यह इस समुद्री जलक्षेत्र के लिये सबसे जानलेवा वर्षों में है.
यूएन एजेंसी ने, पिछले सप्ताहांत श्रीलंका की नौसेना और स्थानीय मछुआरों द्वारा, जोखिमपूर्ण हालात में फँसी एक नाव से रोहिंज्या शरणार्थियों को बचाने और उन्हें तट पर सुरक्षित उतारने की कार्रवाई की सराहना की थी.
उत्तरी श्रीलंका के पास समुद्री क्षेत्र में लगभग 105 रोहिंज्या शरणार्थियों के अधर में फँसे होने की जानकारी मिली थी, जिसके बाद श्रीलंकाई नौसेना ने उन्हें जल्द सुरक्षित बाहर निकाल लिया.