दक्षिण सूडान: पदक समारोह में भारतीय महिला शान्तिरक्षकों की चमक
मेजर जैसमीन चट्ठा कहती हैं, “इस विशेष दिवस पर अपनी रेजीमेंट का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिये सम्मान की बात है. हम महिलाओं को नेतृत्व करने का अवसर देकर, दक्षिण सूडान के नागरिकों को और विशेष रूप से महिलाओं को एक मज़बूत सन्देश भेज रहे हैं.”
मेजर जैसमीन ने कहा, “हमारे काम में, उदाहरण के लिए जब हम सड़कों की मरम्मत करते हैं या बाढ़ का असर कम करने की कोशिश करते हैं, तो हम स्थानीय आबादी के सम्पर्क में रहते हैं. वो लोग देख सकते हैं कि हम महिलाएँ, एक टीम का नेतृत्व कर रही हैं और इस तरह हमारा सम्मान भी होता है, और हमारी बात भी सुनी जाती है.”
दक्षिण सूडान में यूएन शान्तिरक्षा मिशन (UNMISS) की एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ये सच है कि ऊपरी नील क्षेत्र में तैनात भारतीय शान्तिरक्षकों के दल में लगभग सभी सदस्य पुरुष हैं, फिर भी मेजर चट्ठा, असाधारण कार्य के लिए पदक हासिल करने वाले स्वदेशी शान्तिरक्षकों में, एक मात्र महिला नहीं हैं.
अभी तक भारत के 1,171 शान्तिरक्षकों को असाधारण सेवा के पदक से सम्मानित किया जा चुका है जिनमें पाँच महिलाएँ रही हैं.
एक इंजानियर कैप्टन करिश्मा कथायत भी पदक हासिल करने वालों में शामिल हैं और मेजर जैसमीन चट्ठा की ही तरह, वो भी सैन्य परिवार से हैं.
वो कहती हैं, “जिन लोगों की सेवा के लिए हम यहाँ तैनात हैं, उनके जीवन मानकों को बेहतर बनाने में कुछ योगदान करने पर गर्व महसूस होता है. हमारा इंजानियरिंग कार्य, कुछ ऐसा है जिस पर हम बहुत गौर्वान्वित महसूस करते हैं.”
जीवनरक्षक सेवा
प्रैस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन में तैनात भारतीय दल, अति महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के निर्माण और मरम्मत में उसके विशिष्ट प्रयासों के लिए जाना जाता है.
साथ ही, ये दल आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के शासनादेश को भी भली-भाँति निभाता है, कभी-कभी तो ख़तरनाक स्थानों पर भी.
सितम्बर 2022 से, भारतीय दल के चिकित्सा स्टाफ़ ने, ऐसी आपात चिकित्सा सेवाएँ मुहैया कराई हैं जिनसे पाँच बच्चों का जीवन बचाना सम्भव हो सका.
भारतीय दल की एक शान्तिरक्षक मेजर अमनप्रीत कौर एक डॉक्टर हैं और उनका कहना है, “इन कार्यक्रमों के अभाव में, उन बच्चों की मौत हो सकती थी, या फिर वो जीवन भर के लिए विकलांग हो सकते थे.”
उनका कहना है, “हमने अनमिस के स्टाफ़ और दक्षिण सूडान के मेज़बान नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराते हुए बहुत कुछ सीखा है. ये लोग हमारे पास ऐसा इलाज कराने के लिए आते हैं, जो उन्हें अन्यत्र नहीं मिल सकता. अपने पूर्व मरीज़ों को अच्छे स्वास्थ्य में वापिस लौटते देखना, एक अमूल्य अनुभव है.”
असाधारण सेवा पर गर्व से चौड़े हुए सीनों पर, ये पदक, मिशन के फ़ोर्स कमांडर लैफ़्टिनेंट जनरल सुब्रामनियन ने टाँके.
भारत के ही लैफ़्टिनेंट जनरल सुब्रामनियन ने शान्तिरक्षकों के असाधारण योगदान की सराहना करते हुए कहा, “आप सभी ने असाधारण कार्य किया है. आपने हज़ारों आम नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराई है, निसन्देह इस क्रम में ज़िन्दगियाँ भी बचाई हैं, और मानवीय सहायता के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ सृजित की हैं.”
उन्होंने कहा, “आपने दक्षिण सूडान में एक स्थाई और आकर्षक विरासत छोड़ी है.”