इटली के नए समुद्री बचाव क़ानून से, अधिक प्रवासियों की जान जाने का ख़तरा: मानवाधिकार प्रमुख


उन्होंने गुरूवार को एक वक्तव्य में कहा, “अगर यह क़ानून पारित हो जाता है तो इससे संकट में फँसे अधिक लोगों को कष्ट झेलने पड़ेंगे और समय पर मदद उपलब्ध नहीं होने के कारण, ज़्यादा लोगों के जान जाने का ख़तरा रहेगा.”

वोल्कर टर्क ने इटली की संसद द्वारा उस क़ानून को मंज़ूरी दिए जाने के एक दिन बाद गम्भीर चिन्ता व्यक्त की, जिसके तहत मानवीय कार्यों में लगे जहाज़ों पर कड़े नियम लागू करने का प्रावधान है, जो खुले समुद्र में प्रवासियों का जीवन बचाने के प्रयासों में लगे हैं.

अतिरिक्त बचाव कार्य की मनाही

इसके तहत, जहाज़ों को अपना मिशन ख़त्म होने के बाद, अतिरिक्त बचाव कार्य न करने व तुरन्त बन्दरगाह पर लौटने का नियम होगा, भले ही वे संकट में फँसे लोगों के बिल्कुल निकट ही क्यों न हों.

इटली ने हाल ही में बचाकर लाए गए प्रवासियों के लिए कुछ बन्दरगाहों निर्धारित किए हैं, जो मूल बचाव स्थल से बहुत दूर हैं और वहाँ जाने में कई दिन लग सकते हैं.

अगले सप्ताह, सीनेट इस प्रस्तावित क़ानून पर विचार करने वाली है.

प्रवासियों और बचावकर्मियों के दंड का प्रावधान

वोल्कर टर्क ने बताया, “इस क़ानून के अन्तर्गत, प्रवासियों और उनकी मदद करने वालों को प्रभावी रूप से दंड देने का प्रावधान है. मानवीय कार्रवाइयों के लिए दंड के प्रावधान के कारण सम्भवतः मानवाधिकार व मानवीय कार्रवाई में लगे संगठन यह महत्वपूर्ण कार्य करने से बचेंगे.”

उन्होंने याद दिलाया कि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत, एक कप्तान समुद्र में फँसे संकटग्रस्त लोगों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए कर्तव्यबद्ध है, और सभी देशों को जीवन के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, “लेकिन इस नए प्रस्ताव के कारण, अब निकट होने पर भी एक SAR पोत, समुद्र में फँसे लोगों की मदद की पुकार को अनदेखा करने के लिए बाध्य होगा, केवल इसलिए कि उसने पहले ही कुछ लोगों को बचाकर अपना काम पूरा कर लिया है.”

“ऐसे में, जो लोग समुद्र में फँसे रह जाएंगे, वो लम्बे समय तक समुद्री तत्वों के सम्पर्क में रहने और अपनी जान गँवाने का जोखिम उठाने के लिए मजबूर होंगे. जो बच जाएंगे, उन्हें पर्याप्त चिकित्सा देखभाल व पुनर्वास तक पहुँचने में देरी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे यातना, यौन हिंसा और अन्य मानवाधिकार उल्लंघन के शिकार लोगों के लिए कठिनाई बढ़ सकती है.”

प्रतिबन्ध और जुर्माना

जैसाकि उनके कार्यालय ने बार-बार कहा है कि लीबिया को उतरने के लिए सुरक्षित बन्दरगाह नहीं माना जा सकता, संयुक्त राष्ट्र  मानवाधिकार प्रमुख ने संशय जताया कि प्रस्तावित क़ानून से लीबिया में अवरोधन और वापस भेज दिए जाने का भी जोखिम है.

यहाँ चालक दल से उस हर एक व्यक्ति को पंजीकृत करने के लिए कहा जाता है, जो अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवेदन करने की सोच रहे हों. जो ग़ैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) इन नियमों का पालन नहीं करते, उनपर प्रशासनिक प्रतिबन्ध व जुर्माना लगया जाएगा और उनके जहाज़ भी ज़ब्त किए जा सकते हैं.

उचित समाधान नहीं

वोल्कर टर्क ने इली सरकार से इस प्रस्तावित क़ानून को वापस लेने का आग्रह किया है.

अधिकारियों को नागरिक समाज समूहों, विशेष रूप से खोज एवं बचाव के कार्यों में लगे ग़ैर सरकारी संगठनों से परामर्श करने की भी सलाह दी गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी प्रस्तावित क़ानून, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून, अन्तरराष्ट्रीय शरणार्थी क़ानून एवं अन्य लागू क़ानूनी ढाँचे का पूरी तरह पालन करता हो.

उन्होंने कहा, “हम सभी ने भूमध्य सागर पार करने वाले लोगों की दुर्दशा का भयानक मंज़र देखा है, और हम उस पीड़ा को ख़त्म करने की गहन इच्छा रखते हैं, लेकिन मानवीय संकट को दूर करने का यह तरीक़ा एकदम ग़लत है.”



From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Anshu Sharma

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