थाईलैंड: सम्पर्क गतिविधियों के ज़रिए प्रवासी समुदायों को सशक्त बनाने के प्रयास


जिया साई टोट और साई सोम, हाल ही में एक शुक्रवार को सप्ताहभर के कामकाज से निबटकर, थाईलैंड के चन्थाबुरी प्रान्त के एक सामुदायिक केन्द्र का रुख़ करते हैं.

साई सोम कहते हैं, “मैंने थाईलैंड में श्रम क़ानूनों के बारे में जानकारी पर इस गतिविधि के बारे में सुना.” प्रवासी श्रमिकों के रूप में वह और जिया साई, दोनों अपने अधिकारों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं.

कम्बोडिया के एक ही परिवार से सम्बन्ध रखने वाले साई सोम और जिया साई, बेहतर अवसरों की तलाश में छह साल पहले थाईलैंड चले आए थे. वर्तमान में, वे दोनों ही फलदार वृक्षों के उपवन में काम करते हैं.

थाई-कम्बोडियाई सीमा के साथ लगा चन्थाबुरी इलाक़ा, निर्माण, कृषि, मत्स्य पालन, भोजन और अन्य क्षेत्रों में काम कर रहे अनुमानित 12 लाख कम्बोडियाई प्रवासियों में से अनेक का घर है. अनेक प्रवासीजन, प्रवासी प्रक्रियाओं, रोज़गार प्रक्रियाओं, अधिकारों और पात्रता के बारे में सटीक जानकारी के बिना, थाईलैंड पहुँचते हैं, और वो भाषा न आने की चुनौती के कारण, अक्सर दुर्व्यवहार एवं शोषण का शिकार हो जाते हैं.

सेन वी भी छह साल पहले कम्बोडिया से थाईलैंड चले आए थे और एक प्रवासी श्रमिक के रूप में अपने अधिकारों के बारे में अधिक जानने के इच्छुक हैं.

अनेक बड़ी ज़िम्मेदारियाँ

साई सोम और जिया साई, अनेक अन्य कम्बोडियाई प्रवासी श्रमिकों के साथ इस सामुदायिक केन्द्र में एकत्र हुए, जिनमें उसी प्रान्त के सेन वी भी शामिल है.

सेन वी भी छह साल पहले थाईलैंड आए थे. वह बताते हैं, “मेरे ऊपर एक बच्चे की देखभाल और कर्ज़ का भुगतान करने की ज़िम्मेदारी है.” सीमा पार बेहतर आजीविका की खोज करने वाले अनेक कम्बोडियाई लोगों की भी कुछ ऐसी ही आपबीती है.

इन तीनों प्रवासियों को अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) और थाईलैंड के श्रम संरक्षण और कल्याण विभाग (DLPW) द्वारा आयोजित एक सम्पर्क गतिविधि के बारे में मालूम हुआ जिसमें प्रवासी श्रमिकों की जानकारी बढ़ाने सहित अन्य अनेक विषय शामिल हैं.

सेन वी ने अन्य विषयों के अलावा, बीच-बीच में थोड़े समय के लिए कम्बोडिया जाते रहने की प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त की. इससे पहले उन्हें यह ग़लतफ़हमी थी कि सीमा पार करने और वापस आने के लिए अधिकारियों को धन देना पड़ता है.

जिया साई, प्रवासियों के बीच विशाल सूचना-विषमता का ज़िक्र करते हुए बताते हैं, “अनेक प्रवासी श्रमिक अपने नियोक्ताओं द्वारा मुहैया कराई गई जानकारी पर निर्भर हैं.”

IOM ने, सरकारी अधिकारियों और नागरिक समाज भागीदारों के साथ मिलकर, कम्बोडियाई प्रवासियों के लिए एक सूचना सत्र आयोजित किया.

सशक्तिकरण के अवसर

आईओएम के एक पदाधिकारी पनुवत बूनयानन बताते हैं कि सम्पर्क गतिविधियों का उद्देश्य, प्रवासियों को सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत करने, प्रश्न पूछने और अपनी चिन्ताएँ व्यक्त करने का अवसर प्रदान करना है.

उनका कहना है, “हम देखते हैं कि उनमें से अनेक लोग, श्रम क़ानूनों, सरकारी सेवाओं, देय पारिश्रमिक पर नीतियों और ऐसे ही अन्य विषयों के बारे में अधिक जानकारी हासिल करना चाहते हैं.”

पिछली सम्पर्क गतिविधियाँ, कोविड-19 की रोकथाम, उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं और तस्करी व शोषण के जोखिमों जैसे विषयों को लेकर आयोजित की गई थीं. दो-तरफ़ा संचार, सम्पर्क की नींव के रूप में कार्य करता है, और प्रत्येक समुदाय में सूचना अन्तराल व ज़रूरतों के आकलन के आधार पर गतिविधियाँ नियोजित की जाती हैं.

प्रवासियों का समर्थन करने वाली एक ग़ैर-सरकारी संस्था के लिए काम करने वाले एक प्रवासी नेता, साईंग, प्रवासी श्रमिकों और अधिकारियों के बीच संवाद को मज़बूत करने के लिए, सम्पर्क गतिविधियों का महत्व समझाते हैं. “यहाँ वेतन का भुगतान ज़्यादातर देरी से होना, पासपोर्ट रोके जाने, अनुचित रोज़गार समाप्ति जैसे मुद्दे आते हैं.”

जिया साई कहते हैं, “चारों ओर इतनी तरह की जानकारी फैली है – हमें आज तक मालूम ही नहीं था कि इसमें से क्या सही है और क्या नहीं.”

मई सॉट में, आईओएम और सरकारी अधिकारियों ने मानव तस्करी के मुद्दे पर म्याँमार के प्रवासियों के साथ चर्चा की.

चौतरफ़ा जागरूकता का प्रसार

चन्थाबुरी से लगभग 600 किलोमीटर दूर, देश के विपरीत छोर पर, म्याँमार के लगभग एक दर्जन प्रवासी, इसी तरह की गतिविधि के लिए ताक प्रान्त के माई सॉट नामक एक सामुदायिक केन्द्र में एकत्रित हुए हैं.

आईओएम एवं थाईलैंड के सामाजिक विकास व मानव सुरक्षा मंत्रालय ने, म्याँमार में महामारी और अस्थिरता के कारण, शोषण की बढ़ती संवेदनशीलता पर ध्यान देते हुए, प्रवासी नेताओं के साथ मिलकर, मानव तस्करी पर एक सूचना सत्र का आयोजन किया – जिसमें सन्दिग्ध मामलों की पहचान और रिपोर्ट करने के बारे में जानकारी दी गई.

ए ताए, 2001 से माई सॉट इलाक़े में हैं और सूचना की एक विश्वसनीय स्रोत बन गई हैं, विशेष रूप से नए प्रवासियों के लिए. वह माई सॉट में अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि जब शहर में उनके परिवार के बहुत कम सदस्य थे और उन्हें यह मालूम नहीं था कि रोज़गार के बारे में सटीक जानकारी कहाँ से प्राप्त की जाए.

अब नागरिक समाज संगठनों के साथ काम करने वाली एक सक्रिय सामुदायिक स्वयंसेवक, ए ताए को लगता है कि उनकी यह ज़िम्मेदारी है कि वो इस तरह की जानकारी का प्रसार करें, जो दूसरों की रक्षा करने में मददगार साबित हो. वह कहती हैं, “इस सत्र के बाद, मैं अपने बच्चों और अन्य अभिभावकों से बात करके, उन्हें यह बता सकती हूँ कि सुरक्षित रहने के लिए क्या करना है, या फिर यह कि उन्हें अजनबियों की हर बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए. शायद कुछ लोगों को यह सुनने में दिलचस्पी न हो, लेकिन हमें कोशिश करते रहनी चाहिए. जागरूकता बढ़ाने में समय लगता है.”

आईओएम का सदस्य, इंटरैक्टिव तरीक़े से अवधारणाओं को समझाने के लिए फ्लैश कार्ड का उपयोग करते हैं.

कोविड-19 प्रतिबन्धों के बाद की दुनिया

कुल मिलाकर, 460 से अधिक प्रवासी, मार्च के बाद से चन्थाबुरी और टाक प्रान्तों में, 20 सम्पर्क गतिविधियों से लाभान्वित हुए हैं.

कोविड-सम्बन्धित प्रतिबन्ध जैसे-जैसे ढीले पड़ रहे हैं और सीमाएँ खुलने लगी रही हैं, वैसे-वैसे पड़ोसी देशों से बड़े पैमाने पर, थाईलैंड में श्रम प्रवासन फिर से शुरू हो रहा है. ऐसे में, प्रवासी समुदायों के साथ निरन्तर संचार और जुड़ाव की आवश्यकता अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगी.

सेन वी के लिए, प्रवासियों की रोज़गार प्रक्रियाओं को समझना दिन-प्रतिदिन की चुनौती है, जिससे निपटने के लिए वो समुदाय में अधिक स्थापित प्रवासियों की मदद ले रहे हैं. “मैं यहाँ पाँच साल और काम करना चाहता हूँ, सभी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए, जितना हो सके आय अर्जित करना चाहता हूँ.”

जब सटीक, नवीनतम और भाषा-संवेदनशील जानकारी एक जीवन रेखा के रूप में काम करती है, तो वो प्रवासियों को सशक्त बनाती है, उनकी रक्षा करती है और उनके अधिकारों को बरक़रार रखती है.

यह लेख पहले यहाँ प्रकाशित हुआ.



From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Anshu Sharma

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