हिंसक अतिवाद से निपटने में खेलकूद की शक्ति का महत्व रेखांकित


संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक कार्यालय (UNOCT) में उप निदेशक और विशेष परियोजनाओं व नवाचार शाखा के उप  प्रमुख मौरो मिडिको ने कहा, “खेलों में, सकारात्मक मूल्यों को बढ़ावा देने, सम्मान, समावेश और एकजुटता के आवश्यक मूल्यों को व्यक्त करने की शक्ति होती है.”

उनके अनुसार “अगर इसे हिंसक उग्रवाद की रोकथाम (PVE) रणनीतियों के साथ मिलाकर लागू किया जाए, तो यह अतिवाद के कारकों के ख़िलाफ काम कर सकता है, जो हिंसक अतिवाद को बढ़ावा देते हैं.”

इस संगोष्ठि में वक्ताओं ने लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले युद्ध, विस्थापन और संघर्ष के विनाशकारी प्रभावों पर क़ाबू पाने में, खेलों के महत्व और शक्ति को रेखांकित किया, ख़ासतौर पर उस समय पर जब ISIL (दाएश), अल-क़ायदा और बोको हराम जैसे आतंकवादी समूह अब भी धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक असहिष्णुता के सन्देश फैला रहे हैं.

यह अन्तरराष्ट्रीय दिवस, संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव के माध्यम से 12 फ़रवरी को मनाया जाता है जिसका मक़सद युवाओं में जागरूकता बढ़ाने के महत्व को उजागर करना है और संगोष्ठि में चर्चा भी इसी विषय पर केन्द्रित रही.

इस संगोष्ठि में उच्चस्तरीय वक्ताओं ने खेल के महत्व को उन युवाओं तक पहुँचाने के लिए अपने अनुभव साझा किए, जो संघर्ष, आतंकवाद, भ्रष्टाचार, शोषण और पराधीनता से जूझ रहे हैं.

इसाबेला एचेवेरी, कोलम्बिया की एक फ़ुटबॉल खिलाड़ी और सेव द ड्रीम आन्दोलन की सदभावना दूत हैं. उनका कहना है कि खिलाड़ी गण मैदान पर और मैदान के बाहर भी, एक आदर्श मॉडल व प्रेरणास्रोत होते हैं.

उनका कहना है, “खेल में, अपने प्रतिस्पर्धियों का सम्मान करना, अपनी टीम के प्रति निष्‍ठावान होना, हार के बावजूद मज़बूत रहना और ईमानदारी दिखाना, व खेल जीतने पर साहस और विनम्रता रखना महत्वपूर्ण है.”

इसाबेला का कहना है, “जब हम मैदान से निकलते हैं, तो हम इस मंच का उपयोग युवाओं को प्रेरित करने और उनकी मदद करने के लिए कर सकते हैं, उदाहरण के लिए, सम्मान दिखाने के लिए, अपने शरीरों से लगाव रखें, अन्य लोगों के प्रति दयालु रहें, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूक रहें, अच्छी ख़ुराक खाएँ और नियमित व्यायाम करें.”

पॉडकास्ट के ज़रिए प्रगति पर बल

UNOCT का नया पॉडकास्ट, ‘पॉवर ऑफ द पिच’, सात भागों की श्रृंखला है जिसमें ये समझने का प्रयास किया जा रहा है कि आतंकवादी गुटों की सदस्य संख्या को बढ़ाने वाले, हिंसक अतिवाद के कारकों से निपटने के प्रयासों के तहत, व्यवहारिक अन्तरदृष्टि को खेलकूद में किस तरह लागू किया जा रहा है.

इस पॉडकास्ट की विभिन्न कड़ियों में खिलाड़ियों, विशेषज्ञों और स्थानीय हस्तियों के साथ बातचीत में, धरातल पर प्रगति को रेखांकित करने के साथ-साथ, वर्ष 2020 में शुरू किए गए संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक खेल और सुरक्षा कार्यक्रम (UN Global Sport and Security Programme) के कामकाज को भी रेखांकित किया जा रहा है.

यह पॉडकास्ट में, प्रमुख खेल आयोजनों की सुरक्षा और खेलकूद को, हिंसक उग्रवाद को रोकने के लिए एक उपकरण के रूप में, इसके स्कारात्मक मूल्यों को बढ़ावा देने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है.

पॉडकास्ट में बताया गाया है कि युद्ध के मैदानों, रेगिस्तानों और संघर्षरत समुदायों में, खेलकूद क्लब, युवाओं के लिए खेलकूद में शिरकत करने और सीखने के लिए सुरक्षित स्थान पेश कर रहे हैं.

नई डिजिटल रणनीति की आवश्यकता

मैदान में जो कुछ दिखता है, उसमें सभी को सहनशीलता विकसित करने की एकजुटता नज़र आती है. इंडोनेशिया में कैम्पस डायकोनिया आधुनिक संस्थान की एक प्रोग्राम मैनेजर जेसिका हटिंग का कहना है कि एक मैदान में गेंद से गोल करने या गेंद को बास्केट में डालने की प्रक्रिया में, युवाओं को अपने मतभेदों को दूर करने का मौक़ा मिलता है.

इसाबेला एचेवेरी का कहना है, “खेल सभी को एकसाथ मंच पर लाने का एक माध्यम है. लोग चाहे विभिन्न भाषाएँ बोलते हों, मगर खेलकूद सर्वजन को आपस में जोड़ने वाली भाषा हो सकती है जो उन मतभेदों को समाप्त करती है.”

कोविड-19 महामारी और उससे जुड़े प्रतिबन्धों के कारण, युवाओं को मोबाइल फ़ोन और इसी तरह के उपकरणों का, अतीत की तुलना में कहीं अधिक प्रयोग करते हुए देखा. इसके मद्देनज़र, उन्होंने डिजिटल मंचों के माध्यम से, उन तक पहुँच बनाने और उन्हें खेलों में अधिक सक्रिय होने के लिए प्रोत्साहित करने की ख़ातिर, एक नई रणनीति की आवश्यकता को उजागर किया.

मैदान पर शान्ति को बढ़ावा

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में विकलांग लड़कियाँ, बॉस्केट बॉल खेलते हुए.

एकीकृत समुदाय विकास पहल (Integrated Community Development Initiative) के एक पदाधिकारी मसेरेका विल्बर ने बताया कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में युद्ध के बाद उन्हें जिस तनाव और मानसिक विकारों का सामना करना पड़ा, उनके कारण उनके अन्दर लोगों के लिए नफ़रत भर गई थी, मगर फ़ुटबॉल ने इस भावना को बदल दिया और उन्हें टीमवर्क व सहनशीलता सिखाई.

उन्होंने कहा, “जब आप पिच पर होते हैं, तो आप एक टीम के रूप में खेलते हैं.”

फ़ुटबॉल में अफ़ग़ान महिलाएँ

अफ़ग़ानिस्तान की महिला फ़ुटबॉल टीम की संस्थापक और पूर्व कप्तान ख़ालिदा पोपल ने बताया कि उन्हें एक शरणार्थी होने की वजह से, किस तरह की चुनौतियाँ और बहिष्कार का सामना करना पड़ा.

उन्होंने कहा, “एक शरणार्थी के रूप में मुझे ऐसा कुछ सुनने को मिला कि शरणार्थी हमारे धन की ख़ातिर आ रहे हैं. मुझे धन नहीं चाहिए; मैं भी समान रूप से, समाज में अपना योगदान करना चाहती हूँ.”

उन्होंने सकारात्मक प्रभाव डाल रहे शरणार्थियों और अल्पसंख्यकों के अच्छे उदाहरण सामने लाने के लिए, योरोप से मध्य पूर्व तक एक सेतु के रूप में Girl Power Organization नामक एक संगठन बनाया ताकि महिलाएँ और लड़कियाँ खेल और शिक्षा के माध्यम से एकजुट हो और आगे बढ़ सकें.

योरोपीय फ़ुटबॉल संस्था (UEFA) का समान खेल पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला ख़ालिदा पोपल ने कहा कि खेलकूद ने उन्हें निर्बलों की आवाज़ बनने का हौसला दिया है.

उन्होंने कहा, “एक पुरुष-प्रभुत्व वाले युद्ध क्षेत्र में परवरिश पाते हुए, खेलकूद महिलाओं के लिए एक सुरक्षित स्थान बन सकते हैं जहाँ इन चुनौतियों के बारे में बातचीत हो सके.

ख़ालिदा पोपल कहती हैं, “फ़ुटबॉल हमेशा एक शक्तिशाली साधन रहा है. हम फ़ुटबॉल को एक प्रभावी साधन की तरह इस्तेमाल करना चाहते हैं, जिससे लोगों को एक साथ लाया जा सके और जागरूकता बढ़ाई जा सके.”

एकता को बढ़ावा

यूनीसेफ़ ने मोज़ाम्बीक़ में विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए, एक समावेशी खेलकूद कार्यक्रम का आयोजन किया.

विश्व भर में स्थानीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक कार्यक्रम की मदद से, फ़ुटबॉल के मैदानों पर, अन्य नवाचारी परियोजनाओं का एक कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं, जिसमें ये सुनिश्चित करने के लिए युवजन के साथ सम्पर्क बढ़ाया जाता है कि नीति-निर्माता, युवाओं के अदभुत कौशलों और नज़रिए को समझें. साथ ही, सदस्य देशों को भी इस बारे में तकनीकी सहायता मुहैया कराने के लिए सम्पर्क साधा जाता है कि हिंसक उग्रवाद की रोकथाम के लिए, इन कार्यक्रमों को राष्ट्रीय रणनीतियों में किस तरह शामिल किया जाए.

अगस्त 2023 में घाना में आयोजित होने वाले तेरहवें अफ़्रीकी खेलों के कार्यकारी अध्यक्ष क्वाकू ओफ़ोसू-असारे कहते हैं, “हम एकता को प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं.”

अफ़्रीकी खेलों जैसी विशाल खेलकद प्रतियोगिताएँ, शान्ति के सन्देश के प्रचार का एक मंच हो सकती हैं, जो युवाओं को प्रेरित करने के एक और अवसर का प्रतिनिधित्व करती हैं.

खेलकूद से शान्ति निर्माण

ब्रैम वान हैवर ने UNAOC के उच्च प्रतिनिधि की तरफ़ से बोलते हुए कहा कि खेलकूद सीमाओं से आगे जाते हैं, हिंसक उग्रवाद को रोकने के लिए “एक महत्वपूर्ण उपकरण” है, और लोगों के बीच की दीवारों और दूरियों को कम करने की क्षमता रखते हैं.

उन्होंने कहा कि खेलकूद, विविधता के माध्यम से भी सकारात्मक प्रभाव भी छोड़ सकते हैं.

UNICRI के एक पदाधिकारी लीफ़ विलाडसेन का कहना है कि सहनशीलता को बढ़ावा देना आवश्यक है, विशेष रूप से ऐसे युवजन के लिए, जो हाशिए पर हैं और निर्बल हालात में हैं.

लीफ़ विलाडसेन कहते हैं, “हम खेलकूद का समर्थन करने और हिंसक उग्रवाद को रोकने के माध्यम से, युवजन को उनकी पूर्ण क्षमताओं व सम्भावनाओं तक पहुँचने में मदद कर सकते हैं,”

उन्होंने ज़ोर देकर ये भी कहा कि यह मापने के लिए कि खेलकूद क्या भूमिका निभा रहे हैं, हिंसात्मक उग्रवाद की रोकथाम के लिए, अधिक विश्लेषण की आवश्यकता है..

संयुक्त राष्ट्र एक ‘अनमोल सहयोगी’ है

सेव द ड्रीम (Save The Dream) के कार्यकारी निदेशक मैसिमिलियानो मोंटानारी ने कहा कि हम खेलों के ज़रिए अधिक निष्पक्ष और समावेशी समाज का निर्माण कर सकते हैं.

उन्होंने सोमालिया, सूडान और अन्य देशों में सुलह को बढ़ावा देने के लिए संचालित परियोजनाओं को रेंखाकित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम उन कार्यकर्ताओं के लिए एक “अनमोल सहयोगी” का प्रतिनिधित्व करता है, जिनका उद्देश्य ऐसे समाजों का निर्माण करना है, जहाँ हिंसक उग्रवाद अपनी जड़ें नहीं जमा सके.

उन्होंने कहा, “खेल के माध्यम से दोस्ती का अनुभव करके, जब बच्चे एक साथ खेलते हैं, यह हर दिन अन्तरराष्ट्रीय दिवस का जश्न मनाने जैसा है.”

जैसाकि संगोष्ठि में सभी वक्ताओं ने सहमति व्यक्त की, यही एक लक्ष्य है.

तुर्की में, महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए युवतियाँ फुटबॉल मैच खेलती हैं.



From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Shivani Kala

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