भारत के स्थाई मिशन और शान्ति विश्वविद्यालय (University for Peace) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस संगोष्ठि में टिकाऊ जीवनशैलियाँ और सतत शान्ति को प्रोत्साहन देने के लिए मानव उत्कर्ष विषय पर भी ख़ास ज़ोर रहा.
भारतीय मिशन की एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस बैठक में विविध नेतृत्व पृष्ठभूमि वाले उच्च-स्तरीय वक्ता अपने विचार रखेंगे कि टिकाऊ जीवन शैली को बढ़ावा देने से, किस तरह जलवायु व पर्यावरणीय संकट के प्रभावों से निपटा जा सकता है.
इस संगोष्ठि के अवधारणा-पत्र में कहा गया है कि शान्तिपूर्ण और समावेशी समाज बनाने के लिए, लोकतंत्र और क़ानून के शासन के मूल मूल्यों को मज़बूत करना भी चर्चा का प्रमुख विषय रहा.
अवधारणा-पत्र के अनुसार आज विश्व लगातार बढ़ते लड़ाई-झगड़ों और युद्धों और जलवायु संकटों का सामना कर रहा है.
इस बैठक में इस विषय पर ख़ास ध्यान दिया गया कि कैसे निर्धनता, भुखमरी और गहराती विषमताएँ, पूर्वाग्रह, नस्लभेद व बढ़ती ‘हेट स्पीच’ जैसी चुनौतियों को, गांधी जी के मूल्य अपनाकर हराया जा सकता है.
बढ़ता जलवायु संकट
भारतीय मिशन ने कहा कि जलवायु व पर्यावरणीय संकटों में गम्भीर वृद्धि जारी है जोकि मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण, सूखा, बाढ़, के रूप में विश्व स्तर पर प्रकट हो रहे हैं. इन संकटों के प्रभाव ने निर्धनता को समाप्त करने के प्रयासों को बेहद कठिन बना दिया है.
“आधुनिक भारत का सपना देखने वाले महात्मा गांधी ने दुनिया को, न्यासिता (Trusteeship) के सिद्धान्तों से रूबरू कराया था और उनका मानना था कि विश्व के पास सर्वजन की ज़रूरतों की पूर्ति के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन उनके लालच की पूर्ति करने के लिए नहीं काफ़ी नहीं हैं.
2030 एजेंडा के टिकाऊ विकास लक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र महासचिव की नवीनतम रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि अगर हम पूर्ण और उत्पादक रोज़गार सृजित करें और 2030 एजेंडा के टिकाऊ विकास लक्ष्यों का पूर्ण कार्यान्वयन करें, तो असमानताओं पर क़ाबू पाया जा सकता है और कोविड-19 के प्रभावों से उबरा जा सकता है.
संयुक्त राष्ट्र के शीर्षतम अधिकारी ने ध्यान दिलाया था कि “गांधी उन व्यक्तियों में थे जिन्होंने हमारे पर्यावरण की लूटपाट और विध्वंस के ख़तरों को आरम्भ में ही पहचान लिया था.”
उनके विचार मेंस महात्मा गांधी के अनेक विचारों में टिकाऊ विकास की अवधारणा की झलक मिलती है और सर्वजन के लिये एक बेहतर व ज़्यादा शान्तिपूर्ण भविष्य का निर्माण किया जा सकता है, यदि हम इन महत्वपूर्ण मुल्यों को साथ लेकर चलें.
भारत इस वर्ष, गांधीवादी ट्रस्टीशिप के विचार को जारी रखते हुए, G20 की अध्यक्षता कर रहा है. इस अध्यक्षता का आदर्श वाक्य है “एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य”, भारत के प्राचीन सांस्कृतिक लोकाचार “वसुधैव कुटुम्बकम” से प्रेरित है.