यूएन महासभा: यूक्रेन में युद्ध तत्काल रोके जाने की पुकार


24 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूसी सैन्य बलों के आक्रमण का एक वर्ष पूरा हो रहा है. इस युद्ध में लगभग 20 हज़ार लोगों की मौत हुई है, लाखों विस्थापित हुए हैं, और यूक्रेन में बुनियादी ढाँचे को भीषण नुक़सान पहुँचा है.

यूएन महासभा का 11वाँ आपात विशेष सत्र बुधवार को आरम्भ हुआ, और इस दौरान एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें युद्ध का अन्त किए जाने की मांग की गई है.

इस प्रस्ताव के पक्ष में 141 सदस्य देशों ने मतदान किया, जबकि सात देशों — बेलारूस, कोरिया लोकतांत्रिक जन गणराज्य, ऐरीट्रिया, माली, निकारागुआ, रूस और सीरिया — ने विरोध में वोट डाले.

भारत, चीन, पाकिस्तान समेत 32 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.

इस प्रस्ताव में, यूएन महासभा ने यूक्रेनी क्षेत्र से रूसी सैनिकों की बिना किसी शर्त के, तत्काल, पूर्ण वापसी की मांग दोहराई गई है और लड़ाई को तुरन्त रोकने की बात कही गई है.

वैश्विक प्रभावों पर चिन्ता

यूएन महासभा ने इस प्रस्ताव के ज़रिए, सदस्य देशों से आग्रह किया है कि एकजुटता की भावना के साथ सहयोग किया जाए, ताकि इस युद्ध के कारण उपजे वैश्विक प्रभावों से निपटा जा सके.

ग़ौरतलब है कि यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा, वित्त पोषण, पर्यावरण और परमाणु सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं.

महासभा के अनुसार स्थाई शान्ति के लिए प्रयासों के लिए इन पहलुओं पर भी विचार किया जाना होगा.

इस क्रम में, सभी देशों से इन संकटों से निपटने के उद्देश्य से यूएन महासचिव द्वारा किए जा रहे प्रयासों को समर्थन देने का आग्रह किया गया है.

बुधवार को आपात विशेष सत्र में बुधवार को प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हुई थी.

महासभा के 77वें सत्र के लिए अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने ध्यान दिलाया था कि पिछले एक वर्ष में यूएन महासचिव, 193 सदस्य देशों वाली महासभा और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने इस युद्ध का अन्त किए जाने का आहवान किया है.

साथ ही, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अनुपालन पर बल दिया गया है.

भुक्तभोगियों के लिए न्याय

यूएन महासभा ने अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन की सम्प्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए अपने संकल्प को रेखांकित किया है.

प्रस्ताव में अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत, यूक्रेन में अंजाम दिए गए सबसे गम्भीर अपराधों के लिए एक स्वतंत्र राष्ट्रीय या अन्तरराष्ट्रीय जाँच व अभियोजन कार्रवाई के ज़रिए सभी पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित किया जाना होगा.

यूक्रेन के बूचा इलाक़े में बड़े पैमाने पर जानमाल की हानि हुई है.

© UNDP/Yevhenii Zavhorodnii

इस बीच, बेलारूस द्वारा प्रस्तावित संशोधन के दो सुझावों को ख़ारिज कर दिया गया. पहले संशोधन सुझाव से मूल प्रस्ताव के अनेक प्रावधानों में बदलाव होता और दूसरे सुझाव में हिंसक टकराव से प्रभावित इलाक़े में हथियार भेजे जाने पर रोक लगाए जाने की बात कही गई थी.

24 फ़रवरी 2022 को यूक्रेन पर आक्रमण के कुछ ही दिन बाद, यूएन सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने मतदान के ज़रिए, महासभा को अपना 11वाँ आपात विशेष सत्र बुलाने की अनुमति प्रदान की थी.

इससे पहले, रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण के मुद्दे पर लाए गए एक प्रस्ताव पर अपने वीटो अधिकार का इस्तेमाल किया था.

वर्ष 1950 में पारित एक प्रस्ताव के तहत, अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा से जुड़े मसलों पर सुरक्षा परिषद के विफल रहने पर यूएन महासभा में इन मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है.



From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Sachin Gaur

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