डेनीज़ ब्राउन, यूक्रेन में संयुक्त राष्ट्र की रैज़ीडेंट कोऑर्डिनेटर (RC) और मानवीय राहत समन्वयक हैं. वो राजधानी कीव में 20 यूएन एजेंसियों और दो हज़ार 600 कर्मचारियों के साथ मिलकर कार्यरत हैं, जिनमें से अधिकांश यूक्रेनी हैं.
उन्होंने यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत में बताया कि एक युद्धग्रस्त देश में, स्थानीय समुदायों तक सहायता व समर्थन सुनिश्चित करना कितना चुनौतीपूर्ण है.
“यूक्रेन में पिछले एक साल में हालात बहुत कठिन रहे हैं, और हमें कुछ चरम परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को ढालना पड़ा.
हवाई हमलों की चेतावनी घंटी लगातार बजती है, जिसका अर्थ है, पूरे दिन तेज़ी से भागना, बंकर में शरण लेना और फिर बाहर आना.
हमारा मानना है कि हमने, पिछले 12 महीनों में वहाँ मानवीय सहायता टीम और यूएन सदस्य देशों के साथ, सभी प्रकार की बैठकों में एक महीने से अधिक का समय बिताया है.

यूक्रेनी जनता के लिए समर्थन
यहाँ हमारी दिनचर्या का अक्सर अनुमान लगाना सम्भव नहीं होता है. कोई एक आम दिन नहीं है, लेकिन एक दिन मुझे स्पष्ट रूप से याद है.
10 अक्टूबर को जब कीव का केन्द्रीय इलाक़ा सुबह 8.20 बजे हवाई हमलों से थर्रा उठा. ये मेरे कार्यालय से लगभग एक किलोमीटर दूर ही स्थित है.
मैंने जब धमाकों की आवाज़ सुनी और कार्यालय भी हिलने लगा, तो मैंने सोचा कि शायद यह बंकर में शरण लेने का सही समय है.
हमारा ध्यान मुख्य रूप से यूक्रेन की जनता को समर्थन प्रदान करने पर केन्द्रित है, विशेष रूप से राहत सामग्री वितरण में.
हम अग्रिम मोर्चों पर, यथासम्भव, प्रयास कर रहे हैं, जिसके लिए सटीक योजना व समन्वय की आवश्यकता होती है.
मैं नियमित रूप से अग्रिम मोर्चे पर मौजूद समुदायों से मिलती हूँ, चूँकि मेरा ज़ोर है कि यूएन कर्मचारी इन सबसे कठिन राहत प्रयासों मे शामिल हों.
हमारे पास क्षमता, अनुभव और संसाधन हैं. इसलिए, हम ख़ेरसॉन जैसे स्थानों पर काफ़ी समय बिताते हैं, लेकिन ख़ारकीव, ज़ैपोरिझझिया और दोनेत्स्क क्षेत्रों के विभिन्न समुदायों में भी.
चुनौतियाँ बरक़रार
नवम्बर 2022 में, जब यूक्रेनी सैन्य बलों ख़ेरसॉन पर अपना नियंत्रण फिर से स्थापित किया तो आशाएँ जागी थीं.
तीन दिनो बाद, हम वहाँ गए और वो एक बेहद भावुक क्षण था. जब हमने ट्रकों पर राहत सामग्री के साथ, शहर में प्रवेश किया तो लोग सड़कों पर निकल आए थे और हमारे साथ हाथ हिला रहे थे.
मगर, अनेक महीनों बाद, जैसाकि आपने पिछले सप्ताह देखा, शहर के बीचो-बीच हवाई हमले जारी हैं और आम नागरिक, स्वैच्छिक कार्यकर्ता मारे गए हैं और राहतकर्मी घायल हुए हैं.
ऐसा लगता है कि ख़ेरसॉन में यह कभी ख़त्म नहीं होने वाला है.
लेकिन ख़ेरसॉन में स्थानीय लोगों की शक्ति और उम्मीद में कोई भी कमी नहीं आई है, जो अब भी वहाँ मौजूद हैं, और जिन्होंने मुझे बताया कि वे वहाँ से कभी नही जाएंगे.
यह वास्तव में यूक्रेनी आबादी की मज़बूती, समर्पण, और सहन-सक्षमता का परिचायक है.

समुदायों का पुनर्निर्माण
मैंने जनवरी 2023 में सोलेदार के पास एक इलाक़े की यात्रा की, और इस दौरान सड़कों दोनों ओर पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके समुदायों को देखा.
मैं आश्वस्त हूँ कि यूक्रेनी जनता का दृढ़ संकल्प का अर्थ है कि इन नगरों और समुदायों का फिर से निर्माण होगा, भले ही उसमें एक लम्बा समय लगे.
इसके लिए जिस साहस और संकल्प की आवश्यकता है, उसे यहाँ महसूस किया जा सकता है. मैं जहाँ कहीं भी गई हूँ, यह मैंने महसूस किया है.
मेरे यहाँ पहुँचने के बाद से अब तक, मैंने समुदायों में लोगों, स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं, स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों, मेयर समेत अन्य से मुलाक़ात और बातचीत की है.
मैं दो व्यक्तियों को बहुत अच्छी तरह याद करती हूँ, और दोनों ही महिलाएँ हैं और ख़ेरसॉन और ओरिख़िव की मेयर हैं. ये ज़ैपोरिझझिया क्षेत्र में अग्रिम मोर्चे से लगभग तीन किलोमीटर दूर स्थित है.
मैंने वहाँ तीन घंटे से भी कम समय बिताया और पाँच से 10 किलोमीटर दूर तक बमबारी की कम से कम 20 घटनाएँ हुईं. लगातार धमाके हो रहे थे.
इन दोनों हस्तियों ने वहीं रुकने का निर्णय लिया और अब वे बिना रुके काम कर रही हैं, अपने समुदायों का ख़याल रख रही हैं, और वे हमारे लिए जानकारी व सम्पर्क का प्राथमिक स्रोत हैं, जिनके साथ हमारे तार लगातार जुड़े हुए हैं.
सोलेदार के पास समुदायों से मिलने के दौरान, मैं एक शानदार महिला से मिलीं, जोकि एक डॉक्टर हैं. वो मुझे एक क्लीनिक ले गईं, जोकि उन्होंने अपने घर में स्थापित किया है, चूँकि गाँव का स्वास्थ्य केन्द्र क्षतिग्रस्त हो गया था.
उन्होंने मुझे बताया कि वह वहाँ अपनी मौजूदगी बनाए रखने और पीछे रुक गए लोगों को समर्थन पहुँचाने के लिए संकल्पित हैं. इसलिए, ये वो साहसी महिलाएँ हैं, जिन्हें मेरे विचार में, मैं कभी नहीं भूलुंगी.

मानवीय आवश्यकताएँ
युद्ध जारी है और तेज़ हो रहा है, इसलिए हम मान सकते हैं कि आबादी पर इसका असर आगे भी जारी रहेगा.
यह एक मानवीय संकट है, लेकिन हर दिन हमें नज़र आने वाली ज़मीनी वास्तविकताओं को ध्यान में रखें, तो इसे संकट कहना बहुत ही मामूली प्रतीत होता है.
कोई एक मुख्य आवश्यकता नहीं है, बल्कि अनेक हैं. सबसे अधिक ख़राब हालात अग्रिम मोर्चे के नज़दीक हैं, जहाँ घर बर्बाद और स्वास्थ्य केन्द्र ध्वस्त हो गए हैं.
मैंने ख़ारकीव क्षेत्र में एक क्लीनिक का दौरा किया और उसके एक महीने बाद ही वो ध्वस्त हो गया. इन समुदायों को हर चीज़ की आवश्यकता है, इसलिए हम उन तक राहत सामग्री पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
हम युद्ध के दौरान मनोसामाजिक सदमे से प्रभावित लोगों की देखभाल पर भी ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं, विशेष रूप से बच्चों के लिए, लेकिन लड़ाई के अग्रिम मोर्चे वाले इलाक़ों में यह काम लगातार कठिन हो रहा है.
अग्रिम मोर्चे के दूसरी ओर हालात
यूक्रेन के नियंत्रण वाले इलाक़ों में हम कहीं पहुँच सकते हैं, लेकिन लड़ाई के अग्रिम मोर्चे के दूसरी ओर, हमारी बेहद सीमित पहुँच है. फ़रवरी 2022 के बाद से अब तक, कोई भी मानवीय राहत क़ाफ़िला दूसरी ओर पहुँच पाने में सफल नहीं हो पाया है.
हमने यूक्रेन और रूस में रक्षा मंत्रालयों से नियमित रूप से इन इलाक़ों के लिए रास्ता मुहैया कराने का आग्रह किया है.
यूक्रेनी पक्ष से हमें सकारात्मक रुख़ देखने को मिला है, लेकिन रूस की ओर ऐसा नहीं हुआ है.
यह ज़रूरी है कि अग्रिम मोर्चे के दूसरी ओर भी हमारी पहुँच हो. अगर हमें अनुमति मिल जाए, तो हम वहाँ कल ही जा सकते हैं, लेकिन सुरक्षा की गारंटी दी जानी होगी.
यह अनिवार्य है और मोर्चे के दूसरी ओर रह रहे लोगों के लिए राहत आपूर्ति व समर्थन भी बहुत आवश्यक है – मेरा मानना है कि वे बेहद कठिन हालात में रह रहे हैं.
समुदायों की पीड़ा जारी है और जब तक युद्ध का अन्त नहीं होता, हम यूक्रेन की जनता को समर्थन प्रदान करते रहेंगे, जिन्हें इस आक्रमण के कारण एक भयावह दौर में जीवन गुज़ारना पड़ रहा है.”