गाइडोम साबाली की हाई स्कूल की शिक्षा, स्कूल का शुल्क अदा करने में असमर्थ होने के कारण अधूरी रह गई थी. ऐसे में उन्हें अनेक वर्षों तक, एक अकुशल मज़दूर के तौर पर कामकाज के लिए संघर्ष करना पड़ा.
अब 40 की उम्र पार कर चुके गाइडोम साबाली को, 2018 में संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत निशुल्क तकनीकी प्रशिक्षण का अवसर मिला. उन्हें, प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, एक इंजीनियर के रूप में ऐसी पुलिया के निर्माण की देखरेख का काम मिला – जोकि ऊँची सड़कों की तरह होती हैं, जिससे समुदाय को बाढ़ से प्रभावित भूमि पार करने में आसानी हो – यह जलवायु परिवर्तन का एक परिणाम है जिससे देश के कई हिस्से प्रभावित हो रहे हैं.
गाइडोम साबाली ने यूएन न्यूज़ को बताया कि वो इससे अर्जित आय से बचत करके, एक सफल पोल्ट्री किसान बनने में सक्षम हुए हैं.
“मैं गाम्बिया के मध्य नदी क्षेत्र में ब्रिकमाबा गाँव में अपने पुश्तैनी घर में रहता हूँ. मेरा जन्म यहीं हुआ था. मेरे परिवार में भाइयों-बहनों, उनके बच्चों और मेरे पिता समेत 14 लोग हैं.”
यहाँ जीवन कठिन है. पर्याप्त रोज़गार उपलब्ध नहीं हैं और जब कामकाज होता भी है, तो आमतौर पर थोड़े समय के लिए ही उपलब्ध होता है. ऐसे में यहाँ के लोगों के लिए, अपने परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो जाता है.
जब मैंने हाई स्कूल छोड़ा, तो मैं उदास था. मैं जानता था कि, शिक्षा के बिना, मेरे लिए पेशेवर कामगार बनने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक कौशल पाना बहुत कठिन होगा. कई सालों तक मुझे कामकाज मिलना मुश्किल रहा.

नया करियर
2018 में, मेरे एक मित्र ने, संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित निर्माण कौशल प्रदान करने वाले एक निःशुल्क तकनीकी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के बारे में एक रेडियो विज्ञापन सुना. उसने मुझे इसके बारे में बताया, और मैंने तुरन्त उसमें आवेदन कर दिया.
हालाँकि मैं उस वक्त मेरी उम्र 38 साल थी, लेकिन मुझे स्कूल वापस जाना मुश्किल नहीं लगा. शिक्षक जानते थे कि उन्हें मुझे किस तरह सिखाना हैं. मैंने कई उपयोगी कौशल सीखे, जिनमें राजमिस्त्री, बढ़ईगिरी और पेंटिंग व सजावट के कार्य शामिल थे.
इसके साथ ही, मुझे सड़क पुलिया बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक परियोजना पर जाकर, धन कमाने का अवसर मिला. पहले वहाँ मुझे एक मज़दूर के रूप में नियुक्त किया गया, और मैं बजरी निकालने, चट्टानों को खिसकाने जैसे सभी ज़रूरी काम करता था.
मैं, प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, एक प्रशिक्षित इंजीनियर के रूप में अगली पुलिया परियोजना पर काम करने गया, और आज मैं 50 श्रमिकों की एक टीम की देखरेख करता हूँ.

‘महिलाएँ वह सब कुछ कर सकती हैं जो पुरुष करते हैं‘
हमारे पास 25 पुरुष और 25 महिलाएँ हैं, क्योंकि लैंगिक समानता परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. जब यह शुरू हुआ, तो समुदाय के लोग कहते थे कि यह काम महिलाएँ नहीं कर सकतीं, लेकिन आज उन्हें इसका फ़ायदा नज़र आता है!
महिलाएँ, अब धन कमाने के साथ-साथ, अपने घरों की बेहतरी के लिए अपने पति के साथ काम कर सकती हैं, और निर्णय लेने की प्रक्रिया, योजना और निर्माण में योगदान कर सकती हैं.
स्टील के हिस्से लगाने से लेकर चिनाई करने तक, महिलाएँ वो सभी कुछ करती हैं, जो पुरुष करते हैं. हमें उन्हें यह दिखाने का अवसर देना होगा कि वे क्या-कुछ करने में सक्षम हैं.
बदलती जलवायु से अनुकूलन
बदलते मौसम के कारण पुलिया बनाना बहुत ज़रूरी है. गाम्बिया में वर्षा चरम होती जा रही है और इससे सड़कें उखड़ने लगती हैं. ये पुलिया, बरसात के मौसम में समुदाय को, बाढ़ वाले क्षेत्रों को पार करने में मदद करती हैं.
इससे बहुत फ़र्क पड़ेगा. बच्चे स्कूल जा सकेंगे, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच हासिल होगी, और व्यवसायों को व्यापार करने में सहूलियत होगी.
इससे सब कुछ आसान हो जाएगा क्योंकि अब जब भारी बारिश होती है, तो जगह-जगह पानी भरने के कारण, सभी को काफ़ी लम्बा रास्ता तय करना पड़ता है. ये ऊँची सड़कें हमारा जीवन बदल देंगी.

‘यह पेट कभी नहीं भरता!‘
पुलिया बनाने वाली परियोजनाएँ में काम काफ़ी भारी है, और मेरी उम्र बढ़ रही है! साथ ही, यह कार्य जल्द ही समाप्त हो जाएंगे, इसलिए उद्यमिता और व्यवसाय के बारे में सीखना महत्वपूर्ण है, ताकि आप अपनी कमाई में से कुछ बचत कर सकें. मेरे दादाजी कहा करते थे, “यह पेट कभी नहीं भरता”; आपको हमेशा यह सोचना होगा कि आपको अपनी अगली भोजन ख़ुराक कैसे मिलेगी!
मैंने अपनी आमदनी को पोल्ट्री फ़ॉर्म शुरू करने में लगाने का फ़ैसला किया, और यह मेरे लिए यह अच्छा रहा. मैंने 50 चूज़ों के साथ शुरुआत की और अंडे व मुर्ग़ियाँ बेचकर जो रक़म कमाई, उससे मैं अतिरिक्त 100 चूज़े ख़रीद पाया. सब बढ़िया चल रहा है. मुझे बाज़ार भी नहीं जाना पड़ता; लोग मेरे पास आते हैं, और बड़ी आसानी से मेरे चूज़ों की बिक्री हो जाती है.
मैं फॉर्म दोबारा बनाकर, उसमें अधिक लाइटें लगाने की सोच रहा हूँ, ताकि मैं और मुर्ग़ियाँ पाल सकूँ. मैं लगभग 600 मुर्ग़ियाँ रखकर, अपने समुदाय के कुछ बेरोज़गार युवाओं को रोज़गार देना चाहता हूँ.
मैंने जो कौशल सीखा है, मैं उसे आगे बढ़ाना चाहता हूँ, ताकि वे अपना ख़ुद का व्यवसाय शुरू कर सकें. मैं यह सब अपने दम पर नहीं कर सकता! अधिक लोगों को बचत वर निवेश का महत्व समझने की ज़रूरत है. क्योंकि आपके पास भले ही लाखों मुद्रा की रक़म हो, लेकिन यदि आप वो धनराशि ख़र्च कर देते हैं, तो आपके पास कुछ भी नहीं बचेगा.
मुझे बहुत ख़ुशी है कि मैं पुलिया परियोजना पर काम करने के लिए कौशल प्राप्त कर पाया, क्योंकि अब मैं एक पेशेवर राजमिस्त्री और एक सफल पोल्र्टी किसान हूँ. इससे मुझे अतिरिक्त तकनीकी प्रशिक्षण के लिए धन जुटाने में, एक उन्नत स्तर का डिप्लोमा अर्जित करने में, और अपने बच्चों को स्कूल भेजने में मदद मिली है. मेरा जीवन पहले की तुलना में, अब कहीं बेहतर है.
गाम्बिया में UNCDF
- गाइडोम साबाली को, द गाम्बिया में रोज़गार, कौशल एवं वित्त (जेएसएफ़) कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण प्रदान किया गया था, जोकि अन्तरराष्ट्रीय व्यापार केन्द्र (आईटीसी) की भागेदारी में, यूएन पूंजी विकास कोष (UNCDF) का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे यूरोपीय विकास कोष से वित्त पोषण प्राप्त है.
- JSF के अन्तर्गत, गाम्बिया की मौजूदा चुनौतियों को सम्बोधित करने के प्रयास किए जाते हैं, जिसमें युवाओं व महिलाओं के लिए कामकाज के अवसरों की कमी, वित्तीय समावेशन के निम्न स्तर और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन एवं शमन शामिल हैं.