विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कम्बोडिया में वर्ष 2014 के व्यापक प्रकोप के बाद से एवियन इन्फ़्लूएंज़ा के मामलों की पहली बार पुष्टि हुई है, जिसे H5N1 भी कहा जाता है.
यह संक्रमण मुख्य तौर पर जानवरों को प्रभावित करता है और मनुष्यों में इस वायरस की 50 फ़ीसदी मृत्यु दर देखी गई है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में महामारी तैयारी व रोकथाम इकाई की निदेशक सिल्वी ब्रिएंड ने बताया कि विश्व भर में पक्षियों में वायरस के व्यापक फैलाव को देखते हुए, वैश्विक स्तर पर H5N1 से उपजी स्थिति चिन्ताजनक है.
“हम इस प्रकोप को समझने के लिए कम्बोडियाई अधिकारियों के साथ निरन्तर सम्पर्क बनाए हुए हैं.”
अधिक मामलों की आंशका
WHO का मानना है कि मनुष्यों में एवियन फ़्लू के और अधिक संख्या में मामले सामने आने की आंशका हैं, चूँकि मुर्ग़ियों (Poultry) की आबादी में लगातार यह वायरस पाया गया है.
H5N1 संक्रमण के लगभग सभी मामले संक्रमित जीवित या मृत पक्षियों या फिर दूषित वातावरण के सम्पर्क में आने के कारण नज़र आए हैं.
सिल्वी ब्रिएंड ने बताया कि उनका संगठन इस वायरस के ख़तरे को बेहद गम्भीरता से ले रहा है और सभी देशों से सतर्कता बरते जाने का आग्रह किया गया है.
वैश्विक स्तर पर, वर्ष 2003 से 25 फरवरी 2023 तक, 21 देशों में मनुष्यों में H5N1 के कुल 873 मामलों की पुष्टि हुई और 458 मौतें दर्ज की गई.
हालाँकि, फ़िलहाल उपलब्ध जानकारी के आधार पर, WHO ने किसी भी प्रकार के यात्रा या व्यापार प्रतिबन्ध लागू किए जाने की सलाह नहीं दी है.
प्रमाण दर्शाते हैं कि ये वायरस मनुष्यों को आसानी से संक्रमित नहीं करता है और मनुष्य से मनुष्य में फैलाव आम बात नहीं है.
संक्रमण मामलों की जाँच
कम्बोडिया के प्रे वेंग प्रान्त में पशुओं और मनुष्यों की स्वास्थ्य जाँच की जा रही है, जहाँ एवियन फ़्लू के मामले सामने आए थे. इस जाँच का उद्देश्य वायरस के फैलाव के स्रोत और माध्यम की पहचान करना है.
स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, एक उच्चस्तरीय सरकारी टीम इस वायरस को आगे फैलने से रोकने के लिए प्रयासरत है. इस समय उन लोगों के बारे में जानकारी जुटाए जाने की कोशिश की जा रही है, जो एवियन फ़्लू से संक्रमित लोगों के सम्पर्क में आए थे.
कम्बोडियाई स्वास्थ्य अधिकारियों ने पहले संक्रमण मामले और उससे होने वाली मौत की जानकारी गुरूवार को WHO को सौंपी थी.
एक 11 वर्षीय लड़की कुछ दिन पहले एवियन फ़्लू से संक्रमित हुई और फिर बुधवार को उसकी मौत हो गई. शुक्रवार को, उस लड़की के परिवार के सदस्यों में से एक में, इस वायरस की पुष्टि की गई, लेकिन दूसरे संक्रमित व्यक्ति में इस वायरस के कोई लक्षण नहीं देखे गए हैं.
वैश्विक प्रतिक्रिया प्रणाली
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी, अपने वैश्विक इन्फ्लुएंज़ा निगरानी व प्रतिक्रिया प्रणाली के माध्यम से, वायरस के फैलाव की निगरानी और जोखिम का आकलन करती है.
यूएन एजेंसी ने बीमारी की वजह बनने वाले वायरस, महामारी विज्ञान, और मानव या पशु स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले नए उभरते व फैलते वायरस का पता लगाने, और उन पर नज़र रखने के लिए, वैश्विक निगरानी व्यवस्था की अहमियत को रेखांकित किया है.
फ़िलहाल, मनुष्यों में एवियन इन्फ़्लूएंजा वायरस से बचाव के लिए व्यापक रूप से कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है.
WHO ने मुर्ग़ियों या पक्षियों के नज़दीक काम करने वाले सभी लोगों के लिए सम्भावित जोखिम को कम करने के इरादे से, हर साल इन्फ़्लूएंजा का टीका लगवाने की सिफ़ारिश की है.
अतीत के प्रकोप
लगभग एक दशक पहले, संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने दक्षिण-पूर्वी एशिया में, H5N6 नामक एवियन इन्फ़्लूएंज़ा के एक प्रकार के फैलने की चेतावनी जारी की थी.
वर्ष 2015 में, FAO ने फिर से अत्यधिक घातक H5N1 के एक प्रकार के ख़तरनाक प्रकोप पर चेतावनी जारी की थी, जोकि छह महीने के भीतर पाँच पश्चिमी अफ़्रीकी देशों में फैल गया था.
स्वास्थ्य एजेंसी ने मनुष्यों को प्रभावित करने से पहले इसे शुरुआत में ही रोकने के लिए, 2 करोड़ डॉलर की आपात सहायता की अपील जारी की थी.
संगठन ने बताया कि उस समय, H5N1 के कारण लाखों की संख्या में मुर्ग़ियों की मौत हुई थी और अरबों डॉलर का नुक़सान हुआ था.
उसके बाद से ही, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने पशु चिकित्सा प्रणालियों और स्थानीय प्रयोगशालाओं की क्षमताओं में सुधार लाने के लिए काम किया है.
वर्ष 2018 तक, FAO ने साढ़े चार हज़ार से अधिक पशु चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया था, जिन्होंने अफ़्रीका, एशिया और मध्य पूर्व के 25 देशों में घातक वायरस से पालतू पशुओं की रक्षा में मदद की.
कम्बोडिया में, वर्ष 2003 में H5N1 के प्रकोप ने पहली बार जंगली पक्षियों को प्रभावित किया था. तब से वर्ष 2014 तक, देश में मुर्ग़ों से मनुष्यों में होने वाले संक्रमण (poultry-to-Human Transmission) के छिटपुट मामले सामने आए हैं.
25 फ़रवरी तक, कम्बोडिया से H5N1 वायरस से मानव संक्रमण के कुल 58 मामले सामने आए हैं, जो वर्ष 2003 से दर्ज किए गए हैं. अब तक 38 लोगों की मौत हुई है.