यमन में वर्ष 2022 में छह महीने के लिए युद्धविराम समझौता लागू रहा था, मगर उसके बावजूद गर्त में जाती अर्थव्यवस्था और बुनियादी सेवाओं के पतन के कारण, बहुत बड़े पैमाने पर तकलीफ़ें बरक़रार हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि मौतों, विस्थापन, विध्वंस, भुखमरी और तकलीफ़ें को अनेक वर्षों के बाद, “युद्धविराम समझौते ने लोगों को वास्तव में फ़ायदे पहुँचाए थे.”
धनराशि और संकल्प
अलबत्ता मानवीय सहायता की ज़रूरतें लगातार बढ़ रही हैं और यमन में दो करोड़ 10 लाख से ज़्यादा लोगों को अब भी सहायता व संरक्षण की आवश्यकता है. ये संख्या देश की कुल आबादी का लगभग दो तिहाई हिस्सा है.
यूएन महासचिव ने कहा, “अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के पास इस संकट को समाप्त करने की शक्ति व साधन मौजूद हैं. और इसकी शुरुआत इस अपील के जवाब में पूर्ण धनराशि और वो भी बहुत तेज़ी से मुहैया कराने के संकल्प के साथ होती है.”
यमन की आबादी को पिछले क़रीब आठ वर्षों से सरकारी बलों और हूथी विद्रोहियों के दरम्यान जारी युद्ध का दंश झेलना पड़ा है. ध्यान रहे कि सरकार बलों को सऊदी अरब का समर्थन हासिल है.
अनेक बार सूखा और बाढ़ की घटनाओं ने भी लोगों की ज़िन्दगियों, सुरक्षा और रहन-सहन को ख़तरे में डाला है.
उससे भी ज़्यादा, समुदाय अलबत्ता बहुत भारी बोझ तले दबे हुए हैं, यमन ने फिर भी अपने अन्य युद्धग्रस्त देशों के लगभग एक लाख शरणार्थियों और शरण चाहने वाले लोगों को अपने यहाँ पनाह दी हुई है, जिनमें मुख्य रूप से सोमालिया और इथियोपिया शामिल हैं.
मामूली बढ़त पर भी जोखिम
मानवीय सहायता एजेंसियों को वर्ष 2022 के दौरान लगभग दो अरब 20 करोड़ डॉलर की धनराशि प्राप्ति हुई थी जिसके सहारे, हर महीने लगभग एक करोड़ 10 लाख लोगों को, खाद्य, पानी, आश्रय, शिक्षा व अन्य जीवन-रक्षक सहायता मुहैया कराई जा सकी.
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि मानवीय सहायता अभियानों और युद्धविराम व अन्य कारकों की बदौलत, लगभग 20 लाख लोगों को अत्यन्त गम्भीर खाद्य अभाव से राहत मिली, जबकि अकाल जैसे हालात का सामना करने वाले लोगों की संख्या में भी, लगभग एक लाख पचास हज़ार की कमी आकर, ये संख्या शून्य पर पहुँच गई.
हालाँकि यूएन प्रमुख ने आगाह करते हुए कहा, “मगर ये बढ़त बहुत नाज़ुक बनी हुई है. अगर इस समय सहायता खींच ली जाती है, सहायता एजेंसियों को अपने अभियान या तो कम करने होंगे या अपने सहायता कार्यक्रम स्थगित करने होंगे, जिसकी मानवीय क़ीमत बहुत भारी होगी.”

मानवीय सहायता कर्मियों पर जोखिम
उन्होंने कहा कि मानवीय सहायता एजेंसियों को समर्थन से भी आगे, ज़रूरमन्दों तक सुरक्षित पहुँच बनाने की भी ज़रूरत है.
उन्होंने सहायता आपूर्ति में प्रशासनिक बाधाएँ व देरी, हस्तक्षेप और परिवाहन व आवागम में पाबन्दियाँ जैसे अवरोधों का भी ज़िक्र किया, जोकि मुख्यतः हूथी विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाक़ों में ज़्यादा हैं.
यूएन महासचिव ने कहा, “ उससे भी ज़्यादा ख़तरनाक बात ये है कि मानवीय सहायताकर्मी स्वयं भी, बढ़ते हमलों के जोखिम का सामना कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “मैं संघर्ष से सम्बन्धित तमाम पक्षों से, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाते हुए, तमाम ज़रूरतम्द लोगों तक मानवीय सहायता आपूर्ति सम्भव बनाने की ख़ातिर, सुरक्षित, त्वरित, और निर्बाध पहुँच में सहायता करने की पुकार लगाता हूँ.”
शान्ति अति महत्वपूर्ण
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता और आपदा राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने ज़ोर देकर कहा कि दुनिया एक बार फिर, यमन को संकट से उबारने में मदद के लिए संकल्प व्यक्त करने की ख़ातिर एकत्र हो रही है.
इस सहायता अपील सम्मेलन का आयोजन यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश और स्वीडन व स्विटज़रलैंड की सरकारों ने किया है.
स्विटज़रलैंड के विदेश मामलों के संघीय विभाग के मुखिया इगनाज़ियो कैसिस का कहना है, “यमनी लोगों के लिए हमारी सहायता, अभूतपूर्व रूप से और भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है.”
“यमनी महिलाओं, पुरुषों व बच्चों के फ़ायदे की ख़ातिर, हमारा पूर्ण समर्थन जारी रखना, हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है. आइए, हम उन्हें एक बेहतर भविष्ट का परिदृश्य उपलब्ध कराएँ.”
स्वीडन के अन्तरराष्ट्रीय विकास सहयोग और विदेशी व्यापार के मंत्री जोहान फ़ोरसेल ने, वैश्विक मानवीय सहायता कार्यों में, अपने देश की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया.
उन्होंने कहा, “हम यमन में जीवन-रक्षक अभियानों को रुकने नहीं दे सकते. मुझे आशा है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय आज इस अवसर का लाभ उठाकर, यमनी लोगों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करेie, जबकि उन्हें इस सहायता की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है.”