यूएन एजेंसी प्रवक्ता ओल्गा सर्राडो ने बताया कि, “इस समय, सोमालिया, इथियोपिया और केनया में, 80 लाख से अधिक लोगों को खाद्य सहायता की आवश्यकता है.”
इनमें से तीन लाख 32 हज़ार लोगों को यदि समय रहते भोजन नहीं मिला, तो उनका जीवन जोखिम में आ सकता है.
मौजूदा हालात में विस्थापित होने वालों में, हर 10 में से आठ महिलाएँ व बच्चे हैं. अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन ने चेतावनी जारी की है कि सोमालिया में हिंसक टकराव और बारिश ना होने से लाखों लोगों को, बड़े शहरों व नगरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.
यूएन प्रवासन एजेंसी ने अनुमान जताया है कि बायडोआ और मोगादिशु में लगभग तीन लाख लोग, जुलाई 2023 तक नए सिरे से विस्थापित हो सकते हैं.
शरणार्थी एजेंसी ने इस वर्ष अति-महत्वपूर्ण मानवीय राहत कार्यक्रम जारी रखने के लिए, 13 करोड़ 70 लाख डॉलर की अपील की है.
बताया गया है 30 लाख शरणार्थी व घरेलू विस्थापित पहले ही सोमालिया, इथियोपिया और केनया में अपना घर छोड़कर जाने के लिए मजबूर हो चुके हैं.
गुज़र-बसर के लिए संघर्ष
जल संसाधनों की क़िल्लत, भुखमरी, असुरक्षा और हिंसक टकराव के बीच, बेघर हुए इन समुदायों के लिए जीवन एक संघर्ष है.
यूएन शरणार्थी एजेंसी के अनुसार विस्थापितों और उनके मेज़बान समुदायों को सुरक्षा व सहायता की आवश्यकता है.
प्रवक्ता ओल्गा सर्राडो ने बताया कि सोमालिया में अभी तक अकाल को टालना सम्भव हो पाया है, जिसकी एक वजह मानवीय सहायता अभियान को मज़बूत करना है
इसके बावजूद, लोग अब भी फ़सलें बर्बाद होने, मवेशियों व आय के नुक़सान के कारण, भोजन और जल की क़िल्लत से जूझ रहे हैं और उनके जीवन के लिए ख़तरा है.
एक बड़ी क़ीमत
शरणार्थी संगठन की प्रवक्ता ने सचेत किया है कि अति-आवश्यक खाद्य सामग्री और अन्य वस्तुओं के दाम अपने उच्चतम स्तर पर हैं, और अनेक लोगों की पहुँच से बाहर हैं.
इस क्षेत्र में जलवायु व्यवधानों और हिंसक टकराव से उपजे ख़तरनाक हालात के कारण पहले से ही कठिन मानवीय स्थिति बद से बदतर हो रही है.
यूएन एजेंसी के आँकड़े दर्शाते हैं कि सोमालिया में, इस वर्ष की शुरुआत से अब तक, दो लाख 88 हज़ार लोग आन्तरिक रूप से विस्थापन का शिकार हुए हैं, जिसकी वजह हिंसक संघर्ष और सूखा है.
सोमालिया और दक्षिण सूडान से एक लाख 80 हज़ार से अधिक शरणार्थियों ने केनया और इथियोपिया के सूखा प्रभावित इलाक़ों में प्रवेश किया है.
इथियोपिया का सोमाली क्षेत्र, जोकि पहले से ही सूखे से पीड़ित है, यहाँ हाल के हफ़्तों में सोमालिया के लासकानूड क्षेत्र से हिंसक टकराव से जान बचाकर एक लाख लोग डूलो पहुँचे हैं.
निराशाजनक हालात
केनया के दादाब स्थित शिविरों में, यूएन एजेंसी ने सोमालिया से आईं एक 60 वर्षीय महिला के अनुभव सुने, जिन्होंने तीन दशकों से दक्षिणी सोमालिया में हिंसक संघर्ष का सामना किया है.
लेकिन उन्हें भूख की अत्यधिक मार झेलने के कारण अपना जीवन बचाने के लिए, घर छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के अनुसार, बड़ी संख्या में नए विस्थापित शायद कभी अपने मूल स्थान ना लौट पाएँ, चूँकि भूमि उपजाऊ नहीं रही है, संसाधनों की कमी पहले से ही है, और अब उनके लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.
प्रवासन एजेंसी ने सोमालिया में विस्थापित 38 लाख लोगों के लिए एक ऐलर्ट जारी किया है, जिसके अनुसार, ऐसे अनेक परिवारों का जन्म और लालन-पोषण ऐसी अनौपचारिक बस्तियों में होगा, जोकि रहने के लायक नहीं है.

मानव कल्याण कार्रवाई
यूएन शरणार्थी एजेंसी ने आपात आश्रय व्यवस्था और घर-परिवार के सामान समेत अन्य बुनियादी वस्तुएँ, मुहैया कराने की योजना बनाई है, ताकि सोमालिया, इथियोपिया और केनया में पहुँचने वाले नए शरणार्थियों व विस्थापितों की मदद की जा सके.
ट्रकों के ज़रिए जल की आपूर्ति भी बढ़ाई गई है और अतिरिक्त जल स्रोतों के लिए खुदाई की गई है. साथ ही, मौजूदा जल और साफ़-सफ़ाई प्रणाली की मरम्मत की गई है.
इसके अलावा, सर्वाधिक निर्बलों के लिए नक़दी सहायत की व्यवस्था की जाएगी, ताकि वे अपनी खाद्य आवश्यकताओं को पूरा कर सकें.
इन इलाक़ों में स्वास्थ्य सेवाओं को पुख़्ता बनाने पर भी बल दिया गया है, जिसके तहत महिलाओं व बच्चों के लिए पोषण सहायता का दायरा व स्तर बढ़ाया जाएगा और बीमारियों के लिए उपचार की व्यवस्था होगी.