सबसे कम विकसित देशों के साथ न्याय किए जाने का समय, यूएन महासचिव 


महासचिव ने शिखर बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा, “सबसे कम आवश्यकता वाले देशों को सर्वाधिक समर्थन की ज़रूरत है. और आपको यह अभी चाहिए. आप पृथ्वी पर हर आठ में से एक व्यक्ति को प्रदर्शित करते हैं.”

“मगर, आपके देश, ऐसे कुचक्रों में फँसे हुए हैं कि विकास, यदि असम्भव नहीं, तो कठिन हो जाता है.”

विश्व के निर्धनतम और निर्बलतम देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार प्रमुखों की शनिवार को बैठक हुई, जोकि सबसे कम विकसित देशों पर यूएन के पाँचवे सम्मेलन (LDC5) के उदघाटन से ठीक पहले आयोजित की गई है.

यह सम्मेलन क़तर की राजधानी दोहा में 5 से 9 मार्च तक चलेगा. LDC शिखर बैठक हर दस वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है, मगर 2021 के बाद से कोरोनावायरस महामारी के कारण यह इसमें दो बार देरी हुई है.

दोहा में सम्मेलन के दौरान नेता, सरकारी प्रतिनिधि और अन्य हितधारक इस्तामबुल कार्रवाई कार्यक्रम को लागू किए जाने की समीक्षा करेंगे.

इस कार्यक्रम को वर्ष 2011 में तुर्कीये में वर्ष 2011 में हुई बैठक के दौरान पारित किया गया था, जिसका लक्ष्य 46 सबसे कम विकसित देशों की सहायता के लिए अतिरिक्त अन्तरराष्ट्रीय समर्थन और कार्रवाई की लामबन्दी करना है.

सम्मान नहीं, दंड के समान

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने LDC शिखर बैठक में अपने सम्बोधन में ध्यान दिलाया कि यूक्रेन में युद्ध की वजह से जीवन-व्यापन कठिन हो गया है और खाद्य वस्तुओं व ऊर्जा क़ीमतों में उछाल आया है.

हिंसक संघर्ष, सूखे, भूख और अत्यधिक निर्धनता जैसी चुनौतियों के कारण एक ऐसी स्थिति पैदा हुई है, जोकि निर्धनता व अन्याय को ईंधन प्रदान कर रही है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए सतत निवेश की आवश्यकता होगी, मगर मौजूदा वैश्विक वित्तीय प्रणाली को सम्पन्न देशों ने तैयार किया है, जोकि उनके अपने लाभ के लिए है.

एंतोनियो गुटेरेश ने सचेत किया कि कारगर ऋण राहत के अभाव में, अल्पतम विकसित देशों को अपने सरकारी राजस्व का एक बड़ा हिस्सा कर्ज़ की क़िस्त चुकाने में देना पड़ता है, जोकि लगातार बढ़ रहा है.

साथ ही, सबसे कम विकसित देशों के दर्जे को पीछे छोड़कर मध्य-आय वाले देशों की सूची में खड़े होने वाले देशों को, इस दर्जे के लिए निर्धारित विशिष्ट लाभ नहीं मिल पाएंगे, जोकि सम्मान नहीं, बल्कि एक सज़ा बन जाएगा.  

न्याय का क्षण

यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि देशों को विकास की सीढ़ी पर लुढ़कने नहीं दिया जा सकता, चूँकि इस पर चढ़ने के लिए इन देशों ने कड़ी मेहनत की है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र LDC का दर्जा छोड़कर आगे बढ़ने की प्रक्रिया के दौरान आवश्यकता अनुरूप समर्थन प्रदान किए जाने की रणनीति पर काम किया जा रहा है.

इस क्रम में, दोहा कार्रवाई कार्यक्रम में एक ऑनलाइन युनिवर्सिटी, एक खाद्य भंडारण व्यवस्था, और अन्तरराष्ट्रीय निवेश समर्थन केन्द्र समेत अन्य उपायों का उल्लेख किया गया है.

यह कार्रवाई कार्यक्रम, मार्च 2022 में पारित किया गया एक ऐसा रोडमैप है, जिसके ज़रिये सबसे कम विकसित देशों में टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति को साकार किया जाना है.

इसके अलावा, एसडीजी स्फूर्ति पैकेज को फ़रवरी में पेश किया गया, जोकि टिकाऊ विकास के लिए वित्त पोषण बढ़ाने, कर्ज़ की ऊँची क़ीमत से निपटने और आपात हालात के लिए वित्तीय संसाधनों का स्तर बढ़ाने पर केन्द्रित है.

महासचिव ने कहा कि आगामी LDC5 सम्मेलन को इन देशों के समूह के लिए एक न्याय का क्षण बनाया जाना होगा, और उन्हें हरसम्भव प्रदान करते हुए, LDC दर्जे को इतिहास बनाना होगा.

मलावी के राष्ट्रपति और LDC समूह के प्रमुख लज़ारस मैक्कार्थी चकवेरा ने सभी विकास साझीदारों से LDC देशों के रास्ते में खड़े अवरोधों को दूर करने में अपनी भूमिका निभाने का आग्रह किया.

कथनी के बजाय करनी पर ध्यान

मलावी के राष्ट्रपति और LDC समूह के प्रमुख लज़ारस मैक्कार्थी चकवेरा ने शनिवार को इस शिखर बैठक का उदघाटन किया.

मलावी, दुनिया के निर्धनतम देशों में है और विश्व बैन्क के अनुसार, 2021 में यहाँ प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 639 डॉलर थी.

अन्य अल्पतम विकसित देशों की तरह, सब-सहारा क्षेत्र में स्थित मलावी में भी निर्धनता और कुपोषण व्याप्त है और आधी से अधिक आबादी निर्धनता रेखा से नीचे जीवन गुज़ार रही है.

मलावी को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का भी सामना करना पड़ रहा है, और देश में बाढ़ व सूखे की घटनाएँ बढ़ी हैं, जिससे फ़सलों व आजीविकाओं को नुक़सान पहुँचा है.

राष्ट्रपति चकवेरा ने कहा कि हम यहाँ केवल बात करने के लिए एकत्र नहीं हुए हैं, बल्कि यहाँ वास्तव में काम किया जाएगा और अहम नतीजों पर सहमति होगी.

इस क्रम में, उन्होंने सभी विकास साझीदारों से LDC देशों के रास्ते में खड़े सभी अवरोधों को दूर करने में अपनी भूमिका निभाने का आग्रह किया है.



From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Sachin Gaur

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