अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान की सत्ता वापसी के बाद से, महिला रोज़गार स्थिति चिन्ताजनक


यूएन श्रम एजेंसी के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में नई प्रशासनिक व्यवस्था के 18 महीने बाद भी, बदहाल आर्थिक स्थिति और चुनौतीपूर्ण श्रम बाज़ार के कारण, देश एक मानवीय संकट से जूझ रहा है. 

वर्ष 2022 की चौथी तिमाही, यानि अक्टूबर से दिसम्बर महीनों के दौरान, महिलाओं के लिए रोज़गार, 2021 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) की तुलना में 25 प्रतिशत कम होने का अनुमान है.

यह देश में संकट शुरू होने से पहले का समय था. इसी अवधि में पुरुषों के लिए रोजग़ार का स्तर लगभग सात प्रतिशत कम हुआ है.

वेतन या नियमित आय के रोज़गारों का अभाव, और मुद्रास्फीति की ऊँची दर के कारण, लाखों घर-परिवारों को अपनी दैनिक गुज़र-बसर के लिए जूझना पड़ रहा है.

यूएन एजेंसी के नवीनतम आकलन, Employment in Afghanistan in 2022: A rapid impact assessment , के अनुसार श्रम बाज़ार में महिलाओं की भागेदारी पर पाबन्दियों की वजह से यह गिरावट दर्ज की गई है.

ग़ौरतलब है कि अफ़ग़ानिस्तान में अगस्त 2021 में सत्ता पर तालेबान का वर्चस्व स्थापित होने के बाद से ही महिला अधिकारों के लिए संकट उपजा है.

अफ़ग़ानिस्तान के लिए यूएन एजेंसी में वरिष्ठ समन्वयक रामिन बेहज़ाद ने कहा, “महिलाओं और लड़कियों पर पाबन्दियों से उनकी शिक्षा और श्रम बाज़ार में सम्भावनाओं पर गम्भीर नतीजे होते हैं.”

“सभी युवा महिलाओं और पुरुषों को गुणवत्तापरक शिक्षा व प्रशिक्षण के साथ-साथ, शिष्ट व उत्पादक रोज़गार अवसरों के लिए समान पहुँच प्रदान करना, एक मुख्य चुनौती और अफ़ग़ान अर्थव्यवस्था व समाज के भविष्य के लिए प्राथमिकता है.”

बढ़ती पाबन्दियाँ

तालेबान प्रशासन ने अफ़ग़ानिस्तान के विश्वविद्यालयों में महिला छात्रों की पढ़ाई पर रोक लगाई है, और माध्यमिक स्कूलों से भी छात्राओं को बाहर कर दिया है.

देश में महिलाओं और लड़कियों की आवाजाही पर सख़्त पाबन्दी लगाई गई है, उन्हें अधिकांश कार्यबलों से बाहर रखा गया है, और महिलाओं पर पार्क, जिम व सार्वजनिक स्नानघरों का इस्तेमाल करने पर भी प्रतिबन्ध है.

तालेबान प्रशासन ने हाल ही में अपने एक आधिकारिक आदेश में, ग़ैर-सरकारी संगठनों में महिलाओं के कामकाज पर भी पाबन्दी लगा दी थी.

मौजूदा हालात में, महिलाएँ घरों से काम कर रही हैं, या फिर उन्होंने स्व-रोज़गार अपनाया है, और यही अब श्रम बाज़ार में महिलाओं की भागेदारी का मुख्य रूप है.

इस वजह से इन आँकड़ों में आ गिरावट को कुछ हद तक रोक पाना सम्भव हो पाया है.

चुनौतीपूर्ण हालात

रिपोर्ट  बताती है कि 15 से 24 वर्ष आयु वर्ग में युवजन के लिए रोज़गार पर असर गम्भीर व विषमतापूर्ण रहा है.

वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही की तुलना में, 2022 की चौथी तिमाही में युवाओं के लिए रोज़गार में 25 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.

2022 की चौथी तिमाही में, औपचारिक व अनौपचारिक, दोनों क्षेत्रों में कुल रोज़गार की संख्या को, सत्ता में बदलाव से पहले के स्तर की तुलना में साढ़े चार लाख कम आँका गया है.

इसके अलावा, श्रमिकों की आय पर भी गहरा असर हुआ है और घर-परिवारों को भोजन व अन्य वस्तुओं की क़ीमतों में उछाल से जूझना पड़ रहा है.



From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Sachin Gaur

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