भारत: DigitALL – लैंगिक समानता के लिए नवाचार व तकनीक का महत्व


भारत में केवल एक तिहाई महिलाएँ ही इंटरनैट का इस्तेमाल करती हैं. डिजिटल कौशल पाठ्यक्रमों में, पुरूषों की तुलना में, महिलाओं का नामांकन लगभग आधा है. साठ फ़ीसदी नियोक्ताओं का कहना है कि महिला उम्मीदवारों द्वारा दिए गए आवेदनों में से, 30 फ़ीसदी से भी कम, डिजिटल कौशलयुक्त होते हैं.

भारत में यूएन वीमैन संस्था ने, अन्तरारष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में कुछ महिलाओं की शक्ति, रुचि और नेतृत्व भरी कहानियाँ पेश कीं. भारत के विभिन्न राज्यों – ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना और दिल्ली से आने वाली इन महिलाओं में एक बात समान थी –  वो सभी, महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के एक अटूट सूत्र से जुड़ी हैं.

इस अवसर पर भारत की महिला और बाल विकास एवं अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ज़ुबिन ईरानी ने आकांक्षी ज़िलों में महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की कहानियों का एक नया संग्रह “फ्रंट से नेतृत्व” का अनावरण किया. इस पुस्तक में शिक्षा, उद्यमिता और ज़मीनी स्तर पर नेतृत्व में महिलाओं की उपलब्धियों पर भारत के कई राज्यों की कहानी श्रृंखला दी गई है.

स्मृति ज़ुबिन ईरानी ने अपने सम्बोधन के दौरान कहा, “महिलाओं के रूप में, हम अपने परिवार और समाज के लिए बहुत कुछ करते हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हम ख़ुद का भी जश्न मनाएँ.”

भारत की महिला एवं बाल विकास मंत्री, स्मृति ईरानी, ​​नई दिल्ली, भारत में एक UNWOMEN कार्यक्रम में 'महिलाओं की अग्रणी भूमिका' पर पुस्तक का विमोचन करती हुईं.

उन्होंने इस मौक़े पर अनेक ग्रामीण महिलाओं से मुलाक़ात करके, उनके कार्य के बारे में विस्तार से जाना. चर्चा में, डिजिटल भुगतान का उपयोग करने से लेकर, सामुदायिक सूचना साझा करने के लिए सोशल मीडिया से लेकर, बाजरा बैंक शुरू करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग तक जैसे विषय शामिल थे. भारत सरकार और यूएन वीमैन से जुड़ी छह महिलाओं को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित भी किया गया –

1. जेमामणि सोरेन, ठाकुरमुंडा, ओडिशा

पूर्व पंचायत प्रमुख, जेमामणि सोरेन ने डिजिटल तरीक़ों से अपनी पढ़ाई जारी रखी है.

भारत में ओडिशा प्रदेश की जेमामणि सोरेन, एक गृहिणी, एक माँ और ठाकुरमुंडा ग्राम पंचायत की पूर्व- मुखिया हैं.

उन्होंने अपनी शिक्षा को गुप्त रूप से दोबारा शुरू करके, 10वीं और 12वीं की परीक्षा की तैयारी की.

उन्होंने शिक्षा जारी रखने के लिए सक्रिय रूप से व्हाट्सएप और यूट्यूब मंचों का उपयोग करना सीखा.

अपने डिजिटल कौशल के बारे में आश्वस्त जेमामणि सोरेन, अब 2027 के पंचायत चुनावों के लिए डिजिटल तरीक़े से प्रचार करना चाहती हैं.

2. स्वाति सिंह, वाराणसी

अपनी पत्रकारिता की पृष्ठभूमि के कारण, स्वाति सिंह महिलाओं को एकजुट कर, उन्हें सामु्दयिक पत्रकारिता में प्रशिक्षण देकर जागरूकता फैलाने का काम कर रही हैं.

स्वाति सिंह पेशे से पत्रकार हैं. शुरू से ही सामुदायिक कार्य में रुचि रखने वाली स्वाति अब ‘मुहीम’ नामक संस्था की निदेशक हैं, जो वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्रों में वंचित समुदायों के बीच काम करती है.

अपनी पत्रकारिता पृष्ठभूमि के कारण, वह महिलाओं के विकास और प्रगति की चर्चाओं में शामिल होने के लिए, महिलाओं को एकजुट करती हैं और उन्हें सामुदायिक पत्रकारिता में प्रशिक्षण भी देती है, जिससे वो अपनी आवाज़ बुलन्द कर सकें.

3. संगीता, जहाँगीरपुरी, दिल्ली

मौसमी सजावट की वस्तुओं की विक्रेता, संगीता अपने व्यवसाय में डिजिटल माध्यमों का उपयोग करती हैं.

वह व्हाट्सएप के माध्यम से, ग्राहकों के साथ बातचीत करती हैं, डिजिटल भुगतान स्वीकार करती हैं और डिजिटल साक्षरता की पैरवी करती हैं.

4. मालती कदराका, रायगढ़, ओडिशा

मालती एक अनुभवी पुष्पविज्ञानी (Floriculturist) हैं, जो लम्बे समय तक गेंदे के फूलों की खेती करती थीं.

फिर उन्होंने निजी क्षेत्र के साथ डिजिटल रूप से संचालित वित्तीय व्यवस्था स्थापित की. वह अब अपने समुदाय में महिलाओं की डिजिटल और वित्तीय समर्थक के रूप में काम करती हैं.

सामुदायिक प्रेरक और विक्रेता, वंदना योजनाओं और डिजिटल साक्षरता के अवसरों का पूरा उपयोग करती हैं.

5. वन्दना, दिल्ली

सामुदायिक प्रेरक और विक्रेता, वन्दना योजनाओं और डिजिटल साक्षरता के अवसरों का पूरा उपयोग करती हैं.

वह सामुदायिक कार्यकर्ता हैं और सूचनात्मक सामग्री साझा करने के लिए, WhatsApp जैसे डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके, जागरूकता फैलाने में लगी हैं.

6. विशाला रेड्डी, तेलंगाना

जंगल और बाजरे के खेतों के बीच एक गाँव में जन्मी किसान की बेटी विशाला रेड्डी, तालाबन्दी के दौरान अपनी जड़ों से फिर से जुड़ीं.

और अब वह अपने बाजरा बैंक के माध्यम से पोषण विविधता और संस्कृति को पुनर्जीवित किया.

डिजिटल युग में एसीडीजी की दिशा में अग्रसर

भारत में UNWOMEN की प्रतिनिधि, सूसन फ़र्ग्यूसन ने देश के विभिन्न हिस्सों की महिला उद्यमियों को, महिला दिवस के अवसर पर राजधानी दिल्ली में आमंत्रित किया.

भारत में यूएन वीमैन की प्रतिनिधि, सूसन फ़र्ग्यूसन ने इस अवसर पर कहा, “अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस, लैंगिक समानता पर, तेज़ी से बदलते डिजिटल युग में टिकाऊ विकास लक्ष्य (एसडीजी) 5 हासिल करने की दिशा में किए गए प्रयासों और प्रगति को प्रतिबिम्बित करने का अवसर प्रस्तुत करता है.”

भारत में संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेंट कोऑर्डिनेटर (RC), शॉम्बी शार्प ने, चर्चा के दौरान ज़ोर दिया कि डिजिटल कौशल और प्रौद्योगिकियों तक पहुँच के सन्दर्भ में, बढ़ती असमानताएँ स्पष्ट होती जा रही हैं. इस डिजिटल लिंग विभाजन के परिणामस्वरूप महिलाएँ पीछे छूटती जा रही हैं.

उन्होंने कहा, “इसलिए समावेशी और परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी व डिजिटल शिक्षा की आवश्यकता एक स्थाई भविष्य के लिए अहम है.”

लैंगिक समानता के लिए ‘रिंग द बैल’ कार्यक्रम

लैंगिक समानता के लिए ‘रिंग द बैल’ कार्यक्रम में, भारत में यूएनवीमेन की प्रतिनिधि, सूसन फर्ग्यूसन.

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में भारत के मुम्बई शहर में,व्यापार अधिकारियों, नीति निर्माताओं और संयुक्त राष्ट्र की महिला संस्था, यूएन वीमैन ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में आयोजित “लैंगिक समता के लिए घंटी बजाएँ’ (Ring the Bell for Gender Equality) समारोह के दौरान, महिला नेत्रियों और उद्यमियों के लिए निवेश में तेज़ी लाने हेतु आहवान किया.

भारत में यूएन वीमैन की स्थानीय प्रतिनिधि सूसन फर्ग्यूसन ने इस अवसर पर कहा, “हमारा ‘रिंग द बैल’ कार्यक्रम, लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने और समावेशी व टिकाऊ आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र की प्रतिबद्धता दर्शाता है.”

समारोह में वक्ताओं ने ज़ोर दिया कि महिलाओं को अपनी नेतृत्व क्षमता हासिल करने के लिए पूंजी, सम्पत्ति और समर्थन तक पहुँच बढ़ाने की ज़रूरत है और टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति में निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानने की ज़रूरत है.

बीएसई के प्रबन्ध निदेशक (MD) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सुन्दररमन राममूर्ति ने वित्तीय सेवा क्षेत्र में महिलाओं के प्रमुख योगदान और विभिन्न आयामों से मुद्दों को देखने की उनकी क्षमता की सराहना की, जिससे एक पेशेवर दृष्टिकोण सामने आया.

उच्च-स्तरीय बैठक के बाद “FinEMPOWER” महिलाओं को वित्तीय सुरक्षा की ओर सशक्त बनाने के लिए एक नए कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया, जोकि वित्तीय सुरक्षा पर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बीएसई एवं यूएन वीमैन का, संयुक्त एक वर्षीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम है.

भारत में संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेंट कोऑर्डिनेटर (RC) शॉम्बी शार्प ने अपने विशेष सम्बोधन में, मूल्य श्रृंखला के सभी पहलुओं में महिलाओं के लिए एक सक्षम वातावरण की आवश्यकता को दोहराते हुए कहा, “अगर हम जीवन के सभी क्षेत्रों में लैंगिक समानता हासिल करना चाहते हैं तो महिला सशक्तिकरण को हमें केन्द्र में रखने की आवश्यकता है. समावेशी विकास और आर्थिक सुधार के लिए महिला उद्यमियों की वित्त तक पहुँच सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा.”



From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Anshu Sharma

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *