यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त के अनुसार, मानवाधिकारों के विषय में वर्तमान भूदृश्य, हिंसक टकराव, भेदभाव, निर्धनता, नागरिक समाज के लिए सिकुड़ते स्थान के साथ-साथ नई मानवाधिकार चुनौतियों के उभरने के कारण गम्भीर हो गया है.
इनमें कृत्रिम बुद्धिमता और निगरानी व्यवस्थाय समेत टैक्नॉलॉजी के अन्य इस्तेमाल हैं.
मानवाधिकारों के लिए यूएन के शीर्ष अधिकारी ने कहा ताज़ा सोच, राजनैतिक नेतृत्व, नए सिरे से लिए गए संकल्पों, और वित्त पोषण में नाटकीय ढंग से वृद्धि की जानी होगी.
इनके केन्द्र में मानवाधिकारों को रखा जाना होगा ताकि इन नई चुनौतियों से तत्काल निपटा जा सके.
“हमें उस स्थान को फिर से वापिस पाने की आवश्यकता है, जहाँ हम मानवाधिकारों पर मुक्त भावना और सृजनात्मकता के साथ चर्चा कर सकें.”
सफलताएँ और चुनौतियाँ
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने दुनिया के सभी क्षेत्रों में मानवाधिकारों के क्षेत्र में दर्ज की गई सफलताओं और उल्लंघन मामलों का उल्लेख किया.
उन्होंने गम्भीर मानवाधिकार हनन के कुछ अहम कारकों की शिनाख़्त की, जिनमें युद्ध, जलवायु परिवर्तन समेत अन्य संकट हैं और बताया कि किस तरह हितधारक एक साथ मिलकर, एक अधिक समावेशी, सतत और अधिकार-आधारित भविष्य की दिशा में काम कर सकते हैं.
“मेरे कार्यालय के पूर्ण सहयोग के साथ और फ़ील्ड में हमारी उपस्थिति – साथ ही विभिन्न मानवाधिकार तंत्रों के साथ – उसी बारे में है: समाधान.”
उन्होंने कहा कि यह नतीजों के बारे में हैं, और केवल आलोचना या फिर सतही सम्पर्क व बातचीत के लिए नहीं है. यह आमजन के जीवन के लिए ठोस नतीजों के बारे में है.
यूएन के शीर्ष अधिकारी के अनुसार, विश्व की एक-चौथाई आबादी हिंसक टकराव से प्रभावित इलाक़ों में रह रही है.
उन्होंने सचेत किया कि शान्ति, नाज़ुक दौर से गुज़र रही है और इसलिए यूएन चार्टर व अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का सम्मान करते हुए, सर्वप्रथम, उसे पोषित किए जाने की आवश्यकता है.
अवमानना व तिरस्कार पर क्षोभ
वोल्कर टर्क ने माना कि युद्ध शुरू हो जाने पर आम लोगों के प्रति अवमानना, दुखदायी स्तर पर पहुँच जाती है और हिंसा, दैनिक जीवन का हिस्सा बनती है.
यूएन अधिकारी ने कहा कि भेदभाव और नस्लवाद भी मानव गरिमा और सभी मानवीय सम्बन्धों के लिए विषैले ख़तरे हैं.
“वे अवमानना को हथियार बनाते हैं; मानवाधिकारों को अपमानित और उनका हनन करते हैं, कष्टों और निराशा को भड़काते हैं और विकास में बाधा डालते हैं.”
इनमें महिलाओं व लड़कियों, अफ़्रीकी मूल के लोगों, यहूदियों, मुसलमानों, एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय, शरणार्थियों, प्रवासियों समेत अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर लक्षित घातक, नफ़रत भरी बोली व सन्देश हैं.
उन्होंने कहा कि नस्लीय भेदभाव में गहराई तक जड़ें जमाए हुए इन ढांचागत समस्याओं को कुछ देशों में उस हिंसा में देखा जा सकता है, जहाँ क़ानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा अफ़्रीकी मूल के लोगों को विषमतापूर्ण ढंग से निशाना बनाया जाता है.
ऑनलाइन माध्यमों पर अवमानना
वोल्कर टर्क ने क्षोभ प्रकट किया कि वह इंटरनैट पर महिलाओं और उनकी समानता के लिए पसरी तिरस्कार भावना को देखकर स्तब्ध हैं.
उन्होंने कहा कि इनसे ऐसे सामाजिक रवैयों को बल मिलता है, जिन्हें नज़रअन्दाज़ कर पाना मुश्किल हो जाता है, और लिंग-आधारित हिंसा की समस्या गहरी होती है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने बताया कि महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध भेदभाव का स्तर, इसे विश्व भर में सबसे बड़े मानवाधिकार उल्लंघन की श्रेणी में ला खड़ा करता है.
उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों के दमन समेत अन्य मामलों का उल्लेख करते हुए आगाह किया कि अधिकार हनन के इन मामलों से निपटने पर, यूएन कार्यालय प्रमुखता से ध्यान केन्द्रित करेगा.
उन्होंने कहा कि ढांचागत अन्याय, निर्धनता और आसमान छूती विषमताओं की वजह से मानवाधिकारों पर विफलताएं हाथ लग रही हैं.

नक़ली जलवायु समाधान
वोल्कर टर्क ने कहा कि जलवायु व्यवधान से प्रभावित सहेल क्षेत्र से लेकर प्रशान्त द्वीपीय देशों तक, सुदृढ़ता निर्माण में पारदर्शी शासन बहुत अहम है.
मानवाधिकार मामलों के प्रमुख के अनुसार जलवायु वित्त पोषण को सर्वाधिक प्रभावितों व निर्बलों तक पहुँचाना बेहद अहम है, और साथ ही, मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मज़बूत उपाय किए जाने होंगे.
“हमें नक़ली जलवायु समाधानों को उजागर करना होगा.”
“मैं वैश्विक जलवायु वार्ताओं और अन्य स्थलों पर जीवाश्म ईंधन उद्योग द्वारा की जाने वाली कोशिशों की आलोचना करता हूँ, जहाँ वे अपनी प्रतिष्ठा की हरित लीपापोती करते हैं और विकार्बनीकरण के हमारे लक्ष्य को पटरी से भटकाते हैं.”
“दुबई में कॉप28 के दौरान इसे बचा जाना होगा, और हमें समावेशी, सुरक्षित और नागरिक समाज की अर्थपूर्ण भागीदारी की आवश्यकता है.”
इस क्रम में, उन्होंने हर एक देश के लिए कार्रवाई सूची प्रस्तुत की है, और सरकारी नीतियों, पर्यावरणीय जोखिमों पर जानकारी की सुलभता को प्रोत्साहित किया है.
उनका मानना है कि पर्यावरणीय क़ानूनों और उपायों पर पूर्ण भागीदारी व विचार-विमर्श के साथ-साथ, उन लोगों की रक्षा सुनिश्चित की जानी होगी, जोकि पर्यावरणीय अपराधों के विरुद्ध अपनी आवाज़ उठाते हैं.