ब्रिटेन: नए शरणार्थी क़ानून का मसौदा, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का ‘स्पष्ट उल्लंघन’


यूएन शरणार्थी संगठन के अनुसार, अनेक लोग शरण पाने के इरादे से, अपनी जान जोखिम में डालते हुए छोटी नावों पर सवार होकर, इंग्लिश चैनल समेत अन्य मार्गों से होकर ब्रिटेन में अनियमित ढंग से प्रवेश करते हैं.

संगठन का कहना है कि अगर ये नया क़ानूनी प्रस्ताव लागू किया जाता है तो ऐसी यात्राएँ करके ब्रिटेन पहुँचने वाले लोग, शरणार्थी संरक्षण पाने के अपने अधिकार से वंचित हो जाएंगे.

यूएन एजेंसी ने चिन्ता व्यक्त की है कि ऐसी स्थिति में शरण पाने के इच्छुक लोगों की व्यक्तिगत परिस्थितियों की जाँच किए बिना ही, उन्हें हिरासत में रखा या फिर देश निकाला दिया जा सकता है.

UNHCR ने बताया कि, “यह शरणार्थी सन्धि का एक ऐसा स्पष्ट उल्लंघन होगा, जिसके कारण लम्बे समय से चली आ रही एक मानव कल्याण परम्परा प्रभावित होगी, जिस पर ब्रिटिश लोगों को उचित रूप में ही गर्व है.”

ग़ौरतलब है कि ब्रिटेन, 1951 की शरणार्थी सन्धि के मूल हस्ताक्षरकर्ताओं में से है, जिसमें यह माना गया है कि शरणार्थियों को, शरण पाने के लिए किसी देश में अनियमित रूप से प्रवेश करना पड़ सकता है.

60 प्रतिशत वृद्धि

ब्रिटेन सरकार के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में 45 हज़ार लोगों ने छोटी नावों पर सवार होकर इंग्लिश चैनल को पार किया है. यह संख्या उससे पिछले वर्ष की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक है.

यूएन शरणार्थी एजेंसी की सहायक संरक्षण उच्चायुक्त गिलियन ट्रिग्स ने अपने एक ट्वीट सन्देश में मंगलवार को ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में पेश किए गए इस क़ानून के प्रस्ताव पर चिन्ता जताई है.

इस बीच, शरणार्थी संगठन के अनुसार, ब्रिटेन किसी भी ऐसे समझौते का हिस्सा नहीं है, जिसमें किसी अन्य सुरक्षित देश के साथ शरणार्थियों की ज़िम्मेदारी को साझा किया गया हो.

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने ध्यान दिलाया कि वर्ष 2022 में, रवांडा के साथ ब्रिटेन ने एक द्विपक्षीय व्यवस्था की घोषणा की थी, जोकि अन्तरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने में विफल रही है.

पिछले साल जून में, शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त ने ब्रिटेन-रवांडा के बीच हुए समझौते को सिरे से ख़ारिज कर दिया था.

यूएन एजेंसी ने कहा है कि ब्रिटेन में शरण व्यवस्था को मज़बूती देने के लिए ब्रिटेन को समर्थन देना जारी रखा जाएगा.

साथ ही, सरकार और सांसदों से प्रस्ताव पर पुनर्विचार किए जाने का आग्रह करते हुए “अधिक मानवीय और व्यावहारिक नीति समाधानों को आगे बढ़ाने” पर बल दिया है.



From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Shivani Kala

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