यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने ये रिपोर्ट जारी होने के अवसर पर कहा है, “अस्वस्थ भोजन का सेवन, दुनिया भर में मौतों और बीमारियों का प्रमुख कारण है, और सोडियम की अत्यधिक मात्रा का सेवन, उनमें एक मुख्य कारण.”
सोडियम सेवन की मात्रा कम करने के विषय पर, विश्व स्वास्थ्य संगठन की ये अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है, जिसमें दिखाया गया है कि दुनिया, वर्ष 2025 तक सोडियम सेवन में 30 प्रतिशत की कमी का लक्ष्य हासिल करने के रास्ते से भटकी हुई है.
डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा, “ये रिपोर्ट दर्शाती है कि अधिकतर देशों ने सोडियम सेवन की मात्रा अनिवार्य रूप से कम करने वाली नीतियाँ लागू नहीं की हैं, जिसकी वजह से उनके लोगों को दिल का दौरा पड़ने, आघात, और अन्य तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बना हुआ है.”
इस चलन को पलटने के लिए, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी, तमाम देशों से अपने यहाँ सोडियम का सेवन घटाने की योजनाएँ लागू करने की पुकार लगा रही है.
इसमें खाद्य उत्पादकों से अपने उत्पादों में सोडियम कम करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने की पुकार भी शामिल है.
शीर्ष जोखिम कारक
नमक, स्वाद और सदियों से लड़ाई-झगड़ों का भी स्रोत रहा है. नमक में सोडियम की ख़ासी ज़्यादा मात्रा होती है मगर अब दुनिया भर में इसका अत्यधिक सेवन होता है, जो सम्पूर्ण स्वास्थ्य में एक बाधक तत्व है.
सोडियम एक अनिवार्य पोषक तत्व भी है, मगर इसका अत्यधिक सेवन करने से, दिल की बीमारियों, आघात और समय पूर्व मृत्यु का जोखिम भी बढ़ता है.
दुनीया भर में सोडियम का औसत उपभोग अनुमानतः प्रतिदिन 10.8 ग्राम होता है, जोकि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित 5 ग्राम प्रतिदिन की मात्रा से दो गुना है. इसे एक छोटे चम्मच के बराबर मात्रा भी कहा जाता है.
सोडियम का मुख्य स्रोत दैनिक भोजन में प्रयोग किया जाने वाला नमक है (sodium chloride), मगर ये कुछ अन्य पदार्थों में भी मिलता है, जैसेकि सोडियम ग्लूटामेट.
सोडियम का अत्यधिक सेवन, भोजन ख़ुराक और पोषण-सम्बन्धी मृत्यु के लिए, शीर्ष जोखिम वाला कारक बना देता है. सोडियम के अत्यधिक सेवन और पेट के कैंसर, मोटापे और गुर्दों सम्बन्धी जैसी कुछ अन्य बीमारियों के बीच सम्बन्धों के बारे में भी सबूत उभर रहे हैं.
नीति समाधानों का अभाव
केवल नौ देशों में, सोडियम के कम सेवन के लिए, सही नीतियों का पैकेज लागू है, जिनके नाम हैं – ब्राज़ील, चिले, चैक गणराज्य, लिथुआनिया, मलेशिया, मैक्सिको, सऊदी अरब, स्पेन और उरुग्वे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट दिखाती है कि विश्व की केवल पाँच प्रतिशत आबादी, सोडियम की मात्रा कम करने वाली अनिवार्य नीतियों से संरक्षित है, और संगठन के 194 सदस्य देशों में से 73 प्रतिशत देशों में, इस तरह की नीतियाँ लागू करने की क्षमता का अभाव है.
संगठन का कहना है कि सोडियम सेवन कम करने के लिए किफ़ायती नीतियाँ लागू करके जीवनरक्षा करना, 2030 के टिकाऊ विकास एजेंडा प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण कार्रवाई है.