योरोप व मध्य एशिया में गहरा रही है विषमताएँ, यूनीसेफ़ की चेतावनी


गुरूवार को प्रकाशित यह अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है, जिसमें पहले से मौजूद डेटा की मदद से इस क्षेत्र में स्थित देशों का विश्लेषण किया गया है और अहम दरारों को भरने की बात कही गई है.

यूनीसेफ़ की क्षेत्रीय निदेशक अफ़शाँ ख़ान ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध, वैश्विक महामारी, जलवायु परिवर्तन और मौजूदा आर्थिक व ऊर्जा संकट के कारण अनेक परिवार, अनिश्चितता के गर्त में धँस चुके हैं.

उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में परिवारों और बच्चों के कल्याण व सलामती पर असर पड़ा है.

यूनीसेफ़ की शीर्ष अधिकारी के अनुसार, इन घटनाओं से बच्चों पर हुए असर को परखने के लिए डेटा की कमी है, जिससे यह आकलन कर पाना कठिन है कि सर्वाधिक निर्बल बच्चों और उनके परिवारों की आवश्यकताओं को किस तरह से पूरा किया जा सकता है.

अफ़शाँ ख़ान के अनुसार इस क्षेत्र में किसी भी बच्चे को पीछे ना छूटने देने के लिए यह बहुत अहम है.

यूएन एजेंसी के एक अनुसार के अनुसार, योरोप व मध्य एशिया में साढ़े तीन करोड़ से चार करोड़ बच्चे निर्धनता में रह रहे हैं.

रिपोर्ट में कुछ बेहद निर्बल समुदायों के लिए स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं और शिक्षा सुलभता में पसरी विषमताओं को भी उजागर किया गया है.

उदाहरणस्वरूप, रोमा समुदाय के बच्चे और विकलांगता की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे एक करोड़ 10 लाख लड़के-लड़कियाँ, गुणवत्तापरक शिक्षा की सुलभता के मामले में सबसे अधिक वंचितों में हैं.

मौतों की रोकथाम सम्भव

योरोप व मध्य एशिया क्षेत्र में ऐसे देश भी हैं, जहाँ नवजात शिशुओं और बच्चों की सबसे कम संख्या में मौतें होती हैं.

मगर पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए मृत्यु दर, क्षेत्र में स्थित कुछ देशों में वैश्विक औसत से अधिक है. इनमें से 50 फ़ीसदी मौतें जिन बीमारियों की वजह से होती हैं, उनका आसानी से उपचार व रोकथाम सम्भव है.

योरोप व मध्य एशिया में अपने परिवारों से अलग हुए या फिर देखभाल केन्द्रों में रह रहे बच्चों की दर भी विश्व में सबसे अधिक है.

रोमा और विकलांगता की अवस्था में रह रहे बच्चों की संख्या, इन देखभाल केन्द्रों में ग़ैर-आनुपातिक ढंग से अधिक है.

वैश्विक महामारी के कारण नियमित प्रतिरक्षण सेवाओं पर गम्भीर असर हुआ है, और लगभग 95 प्रतिशत देश, टीकाकरण कवरेज में प्रगति की दिशा पलटती नज़र आ रही है.

यूनीसेफ़ ने आगाह किया है कि हर साल, इस क्षेत्र में लगभग 10 लाख बच्चों का, निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार टीकाकरण नहीं हो पा रहा है.

मानसिक स्वास्थ्य पर असर

वैश्विक संकट की वजह से बच्चों के भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य कल्याण पर भी असर हुआ है.

यूनीसेफ़ की रिपोर्ट बताती है कि योरोप व मध्य एशिया के उच्च-आय वाले देशों में आत्महत्या, बच्चों की मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है.

यूएन एजेंसी का कहना है कि वायु प्रदूषण, क्षेत्र में पर्यावरणीय जोखिम की इक़लौती सबसे बड़ी वजह है, जिससे योरोप व मध्य एशिया में हर पाँच में से चार बच्चों के प्रभावित होने की आशंका है.

इसके अतिरिक्त, स्थानीय समुदायों के पास जलवायु परिवर्तन के असर से स्वयं को बचाने के लिए, आवश्यक ज्ञान व कौशल का भी अभाव है.

ल्वीव, यूक्रेन में अस्थायी आश्रयों के क्षेत्र में बच्चों की साइकिल पर एक छोटा लड़का

© UNICEF/Aleksey Filippov

यूक्रेन संकट

फ़रवरी 2022 में, यूक्रेन पर रूसी सैन्य बलों के आक्रमण के बाद, देश में अभूतपूर्व स्तर पर आबादी का पलायन शुरू हुआ, लाखों लोग देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित हुए हैं, जबकि अन्य ने पड़ोसी देशों में शरण ली है.

इसके अलावा, योरोप व मध्य एशिया में विश्व के अन्य हिस्सों से शरणार्थियों व प्रवासियों का पहुँचना भी जारी है.

मेज़बान देशों पर गुणवत्तापरक बुनियादी सेवाओं की समान सुलभता बनाए रखने का भीषण दबाव है, और आश्रय स्थलों, स्वास्थ्य व संरक्षण सेवाओं व साफ़-सफ़ाई केन्द्रों समेत अन्य क्षेत्रों में कमी महसूस की गई है.

साथ ही, अपने परिवार से अलग हुए बच्चों या फिर उनके बिना ही शरण की तलाश कर रहे बच्चों के लिए देखभाल व समर्थन की कमी है.

सामाजिक संरक्षा कार्यक्रम

पिछले वर्ष, यूनीसेफ़ ने अपनी एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें यूक्रेन युद्ध से उपजे आर्थिक नतीजों के कारण योरोप व मध्य एशिया के देशों में बाल निर्धनता पर हुए असर की पड़ताल की गई है.

उसके बाद से ही, यूएन एजेंसी ने देशों से अपनी सामाजिक संरक्षण प्रणालियों का विस्तार करने और उन्हें मज़बूती प्रदान करने की अपील की है, जिनमें नक़दी सहायता कार्यक्रम भी है.

यूनीसेफ़ ने अपने नवीनतम अध्ययन में सरकारों से आग्रह किया है कि हर बच्चे, विशेष रूप से सर्वाधिक निर्बल, की आवश्यकताओं को पूरा किया जाना होगा और डेटा जुटाने व उसके विश्लेषण में बच्चों को प्राथमिकता दी जानी होगी.



From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Sachin Gaur

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *