लैंगिक रूढ़िवादिता तोड़ने के लिए, नवाचार को बढ़ावा देने पर ज़ोर


28 वर्षीय लैथ अबू-तालेब, जॉर्डन के एक लैंगिक समानता कार्यकर्ता और तकनीकी उद्यमी हैं. संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था, यूएन वीमैन के अरब राज्यों के क्षेत्रीय कार्यालय के लिए युवा मोबिलाइज़ेशन विशेषज्ञ, अबू-तालेब का मानना ​​है कि तकनीकी क्षेत्र में युवाओं के अद्वितीय ज्ञान और अनुभव को एकीकृत करना, न केवल तकनीकी नवाचार, बल्कि सामाजिक प्रगति के शक्तिशाली कारक बन सकते हैं.

लैथ अबू-तालेब, अरब में HeForShe अभियान के सह-संस्थापक हैं, जो पुरुषों को लैंगिक समानता की लड़ाई में शामिल करने के लिए शुरू किया गया एक विश्व व्यापी आन्दोलन है. साथ ही, वो WeRise नामक गेमिंग ऐप के सह-विकासक भी हैं, जो गैमिफ़िकेशन के ज़रिए, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए विकसित किया गया UNWOMEN  समर्थित ऐप है.

लड़कों का क्लब 

डिजिटल युग में, वास्तविक दुनिया में महिलाओं और लड़कियों की स्थिति, उनके ऑनलाइन समकक्ष से जुड़ गई है. लैथ कहते हैं, “हम 2023 में जी रहे हैं. हम लैंगिक समानता और प्रौद्योगिकी को अलग नहीं कर सकते.”

फिर भी महिलाओं को प्रौद्योगिकी और नवाचार से व्यवस्थित तरीक़े से बाहर रखा गया है. इसका मतलब यह है कि वो न केवल उच्च भुगतान वाले रोज़गार के अवसरों से वंचित रह जाती हैं, बल्कि उस डिजिटल दुनिया को आकार देने का मौक़ा भी उनके हाथ नहीं आता, जिसमें हम तेज़ी से खिंचते जा रहे हैं.

हालाँकि लक्षित कर्यक्रमों के ज़रिए महिलाओं और लड़कियों के लिए नए दरवाज़े खोले जा रहे हैं, लेकिन, लैथ कहते हैं कि लैंगिक मानदंडों के कारण अनेक अवसर, अभी भी उनकी पहुँच से बाहर हैं.

लैथ बताते हैं, “अगर हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी की जड़ तक जाएँ, तो पाएंगे कि हमारे समुदायों में व्याप्त पूर्वाग्रह व रूढ़िवादिता, इन क्षेत्रों में महिलाओं की भागेदारी और शिक्षा को सीमित करती है.”

इसलिए जब तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं के प्रभाव को बढ़ाने की बात आती है, तो वो कहते हैं कि “इसके लिए हमारे पास मूल आधार तक मौजूद नहीं है.”

HeForShe अभियान के साथ अपने काम के दौरान, लैथ ने ऐसे मानदंडों को बदलने के ख़िलाफ़ विरोध का ख़ुद अनुभव किया है. इस वर्जित विषय ने उन लोगों के लिए भी आवाज़ उठाने में मुश्किलें खड़ी कर दी है जो लैंगिक समानता में विश्वास करते हैं:

उनके कई साथी कार्यकर्ता, अलग-थलग किए जाने के डर से, सार्वजनिक रूप से आन्दोलन से जुड़ना नहीं चाहते थे. लैथ बताते हैं कि उनका कहना ​​था कि, ‘हाँ, हमें आन्दोलन का हिस्सा होना चाहिए, लेकिन मैं कोई ऑनलाइन उपस्थिति नहीं चाहता क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरा परिवार और मेरे पड़ोसी, मेरे बारे में नकारात्मक तरीक़े से बात करें.”

स्थिति में बदलाव

लेकिन, समय और दृढ़ता के साथ, लैथ ने देखा है कि ये दृष्टिकोण बदलने शुरू हो गए हैं. वे कहते हैं, “अब वो डरते नहीं हैं. अब लैंगिक समानता के बारे में वो गर्व से बात करते हैं.”

वो ज़ोर देते हुए कहते हैं कि यह काफ़ी हद तक डिजिटल सक्रियता की शक्ति के कारण हुआ है. “हम ज्ञान साझा करके लैंगिक समानता के विचार को आम अवधारणा बनाने की कोशिश करते हैं.”

जब उन्होंने HeForShe के साथ काम करना शुरू किया, तो लोगों तक पहुँचना मुश्किल था, इसलिए टीम ने अपने आन्दोलन को बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया—और अन्य तकनीकों का सहारा लिया.

ऑनलाइन खेल के ज़रिए जागरूकता

WeRise के विकास के पीछे यही प्रेरणा थी. एक ऐसी ऐप, जो अब iOS और एंड्रॉयड पर अरबी, अंग्रेज़ी और फ्रेंच भाषाओं में उपलब्ध है, उपयोगकर्ताओं को लिंग समानता से सम्बन्धित गेम, क्विज़, फ़ोरम और अन्य इंटरैक्टिव सामग्री के साथ एक डिजिटल मंच प्रदान करता है. वो कहते हैं, “यह सभी के लिए चर्चा करने और लैंगिक समानता के बारे में अधिक जानने के लिए एक सुरक्षित स्थान है.”

वो प्रौद्योगिकी को, हाशिए पर धकेले हुए कमज़ोर समुदायों के लिए दृश्यता, समर्थन और अन्ततः शक्ति प्राप्त करने के एक प्रवेश बिन्दु के रूप में देखते हैं.

वह कहते हैं कि इसके लिए आपको तकनीकी ज्ञान की ज़रूरत नहीं है. इसकी क्षमता का दोहन करने के लिए: “बस, आपके पास अपना फ़ोन व प्रौद्योगिकी तक पहुँच होनी चाहिए. Instagram पर खाता होने से, आपकी तकनीक तक पहुँच बन जाती है.”

प्रभाव श्रृंखला

लैथ कहते हैं, “मेरा मानना ​​है कि हममें से प्रत्येक को प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए.”

ख़ुद को और अपने आसपास के लोगों को शिक्षित करके इसकी शुरुआत करें: “हम अपने दोस्तों के साथ भोजन सेवन करते समय या अपने परिवारों के साथ नाश्ता करते समय ऐसा कर सकते हैं,”

“या फिर सोशल मीडिया के ज़रिए भी बात की जा सकती है. हो सकता है कि आप केवल एक व्यक्ति तक पहुँचें, “लेकिन यह एक व्यक्ति दूसरे को प्रभावित कर सकते हैं और वो एक अन्य को, फिर वो किसी चौथे को. “तो आप वास्तव में प्रभाव की एक श्रृंखला बना रहे होंगे.”



From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Anshu Sharma

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