न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में यह कार्यक्रम में यूएन वीमैन की उप कार्यकारी निदेशक अनीता भाटिया, भारत की महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा काम्बोज ने अपने विचार रखे.
नवाचार और प्रौद्योगिकी
हर वर्ष मार्च में, महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग की वार्षिक बैठक और सम्बन्धित कार्यक्रमों में, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, भेदभाव और असमानताओं जैसे विषयों पर चर्चा की जाती है. इस साल, उद्यमिता, शिक्षा और स्वास्थ्य पहलों जैसे तीन क्षेत्रों पर ख़ास ध्यान दिया गया है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा काम्बोज ने संगोष्ठि में कहा, “भारत के प्राचीन सभ्यता और सांस्कृतिक लोकाचार ने हमें सिखाया है कि लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण, हमारे समाज का एक अटूट हिस्सा है.”
“भारत सरकार, नागरिकों को ध्यान में रखते हुए अनेक डिजिटल योजनाओं पर काम कर रही है जिससे महिलाओं की वित्त, क़र्ज़, प्रौद्योगिकी और रोज़गार तक पहुँच हो सके.”
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि भारत सरकार ने 48 करोड़ 20 लाख लोगों के लिए बैंक में खाते खोले हैं जिनमें से 55 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं. कोविड-19 महामारी के दौरान क़रीब 20 करोड़ महिलाओं को इस पहल से लाभ हुआ है.
इस वर्चुअल बैठक में महिला सशक्तिकरण के लिए सूचना और प्रौद्योगिकी प्रसार के लिए संयुक्त राष्ट्र, सदस्य देशों, ग़ैर-सरकारी संगठनों और निजी संगठनों द्वारा अपनाई गईं सर्वोत्तम प्रथाएँ और योजनाएँ भी साझा किए गए.
प्रौद्योगिकी महिलाओं के स्वास्थ्य से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों को भी प्रभावित कर रही है जिसमें रोगी संचार, चिकित्सक शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता शामिल हैं. डिजिटल समय में, महिलाओं की सफलता के लिए तत्काल अन्तरराष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता है.
महिलाएँ हैं अग्रणी
भारत सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस बैठक को अपने सम्बोधन में कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा उद्देश्यपूर्ण परिवर्तन को किसी प्रकार के परिचय की आवश्यकता नहीं है. अखिल भारतीय महिला शिक्षा कोष संगठन (AIWEFA), महात्मा गाँधी द्वारा स्थापित स्वदेशी संस्था है जो अब महिलाओं की शिक्षा में वैज्ञानिक रुझान पैदा करने के लिए, हमारे देश में सर्वोच्च स्थान पर है.
स्मृति ईरानी ने कहा, “उदाहरण के लिए भारत कला और शिल्प से समृद्ध एक देश है, जिसका नेतृत्व ज़्यादातर महिलाएँ करती हैं. मैं संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDG) के अनुरूप लैंगिक समता और समानता सुनिश्चित करने के लिए, भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराती हूँ.”
महिला सशक्तिकरण के लिये प्रयासरत संयुक्त राष्ट्र संस्था – यूएन वीमैन (UN Women) की उप कार्यकारी निदेशक अनीता भाटिया ने संगोष्ठि में कहा, “प्रौद्योगिकी सक्षम सामाजिक और आर्थिक उन्नति जैसे विषय पर चर्चा करने के लिए, इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है.”
“हमने ख़ुद को अभूतपूर्व वैश्विक संकट के बीच देखा है, जलवायु परिवर्तन, खाद्य असुरक्षा, ऊर्जा संक्रमण और अन्य वैश्विक मुद्दों का संयोजन, दुनिया के लिए एक चुनौती और अवसर दोनों पेश कर रहा है. लेकिन महिलाएँ जिन मुश्किलों का सामना कर रही हैं, उन्हें पारम्परिक तरीक़ों से नहीं सुलझाया जा सकता है.
इस संगोष्ठि की पूर्ण वीडियो रिकॉर्डिंग यहाँ देखी जा सकती है.