मध्य सहेल: हिंसक टकराव में फँसे एक करोड़ बच्चों की ज़िन्दगियों पर जोखिम


यूएन एजेंसी के प्रवक्ता जॉन जेम्स ने कहा, “हिंसक संघर्ष की कोई स्पष्ट सीमा नहीं हो सकती है, ये शीर्ष समाचारों में छा जाने वाली लड़ाइयाँ नहीं हो सकती हैं, मगर धीरे-धीरे, निश्चित रूप से, बच्चों के लिए हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.”

यूनीसेफ़ ने सचेत किया है कि टकराव बढ़ने के प्रभाव पड़ोसी देशों में नज़र आ रहे हैं, जिससे 40 लाख अन्य बच्चों के लिए जोखिम बढ़ा है. साथ ही, सशस्त्र गुटों और राष्ट्रीय सुरक्षा बलों के बीच टकराव के अग्रिम मोर्चों पर रहने वाले बच्चों के लिए हिंसा की जद में आने का जोखिम बढ़ रहा है.

उदाहरणस्वरूप, बुरकिना फ़ासो में 2022 के पहले नौ महीनों के दौरान मारे जाने वाले बच्चों की संख्या, 2021 की इसी अवधि की तुलना में बढ़कर तीन गुना पहुँच गई है.

सशस्त्र गुटों द्वारा बच्चों को भर्ती किया जा रहा है और लड़ाई में हिस्सा लेने या फिर चरमपंथियों को समर्थन प्रदान करने के लिए मजबूर किया जाता है.

स्कूलों पर हमले

बुरकिना फ़ासो, माली और निजेर में सशस्त्र गुटों ने सीधे तौर पर स्कूलों को निशाना बनाया है और शिक्षा केन्द्रों पर किए गए हमलों में तेज़ी आई है.

यूनीसेफ़ रिपोर्ट बताती है कि बुरकिना फ़ासो में 20 प्रतिशत से अधिक स्कूलों को, इन हमलों के परिणामस्वरूप बन्द करना पड़ा है.

“इन तीन देशों – माली, बुरकिना फ़ासो और निजेर – में आठ हज़ार 300 से अधिक स्कूल, अब हिंसा और असुरक्षा की वजह से बन्द हैं.”

यूनीसेफ़ प्रवक्ता ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि शिक्षक स्कूल छोड़ कर चले गए हैं, बच्चों को स्कूल जाने में डर लगता है, परिवार विस्थापित हैं, इमारतों पर हमले किए गए हैं, और लोग हिंसा में फँसे हुए हैं.

यूएन एजेंसी का कहना है कि मध्य सहेल क्षेत्र के हालात की आँच में अब अन्य देश भी झुलने लगे हैं और बेनिन, आइवरी कोस्ट, घाना और टोगो के इलाक़े प्रभावित हो रहे हैं.

“बच्चों के पास अति-आवश्यक सेवाओं व संरक्षण की बेहद सीमित सुलभता ही बची है.” इन चार देशों के उत्तरी सीमावर्ती इलाक़ों में हिंसा की 172 घटनाएँ दर्ज की गई हैं, जिनमें हथियारबन्द गुटों द्वारा किए गए हमले भी हैं.

जलवायु संकट और खाद्य असुरक्षा

मध्य सहेल क्षेत्र खाद्य और जल क़िल्लत से गम्भीर रूप से प्रभावित है और इन परिस्थितियों में सशस्त्र गुटों की सक्रियता के कारण, आम लोगों के लिए गुज़र-बसर कर पाना और कठिन हो गया है.

बताया गया है कि गाँवों व नगरों की नाक़ेबन्दी की गई है और जल केन्द्रों को दूषित कर दिया गया है. 2022 में बुरकिना फ़ासो में 58 जल केन्द्रों पर हमले किए गए, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना वृद्धि को दर्शाते हैं.

एक अनुमान के अनुसार, बुरकिना फ़ासो, माली, और निजेर के सीमावर्ता इलाक़ो में 20 हज़ार से अधिक लोगों के समक्ष, जून 2023 तक, विनाशकारी स्तर की खाद्य असुरक्षा पैदा होने की आशंका जताई गई है.

यूनीसेफ़ ने सचेत किया है कि जलवायु झटकों के कारण फ़सलों पर असर पड़ रहा है, और वैश्विक औसत की अपेक्षा, सहेल क्षेत्र में तापमान 1.5 गुना तेज़ी से बढ़ रहा है, अनिश्चित वर्षा रुझानों के काऱण अक्सर बाढ़ के हालात उपज रहे हैं.

चरम मौसम घटनाओँ के असर से विस्थापन की घटनाएँ बढ़ रही हैं और इन तीन देशों में फ़िलहाल 27 लाख से अधिक लोग विस्थापित हैं.

निजेर के तिलाबेरी इलाक़े में विस्थापितों के लिये बनाए गए एक शिविर में एक युवती पानी ले जा रही है.

© UNOCHA/Michele Cattani

सहायता धनराशि का अभाव

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने ज़ोर देकर कहा है कि मध्य सहेल क्षेत्र में संकट से निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में संसाधन उपलब्ध नहीं हैं. यूनीसेफ़ ने वर्ष 2022 के दौरान ज़रूरी धनराशि में से केवल एक-तिहाई का ही प्रबन्ध हो पाया है.

इस साल, यूएन एजेंसी ने मध्य सहेल और पड़ोसी तटीय देशों में मानवीय सहायता अभियान के लिए 47 करोड़ 38 लाख डॉलर की अपील की है. साथ ही, अति-आवश्यक सामाजिक सेवाओं में दीर्घकालिक दृष्टि से निवेश किया जाएगा.

क्षेत्र में स्थानीय समुदायों व युवजन के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है, ताकि उनके लिए एक बेहतर भविष्य को आकार दिया जा सके.



From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Sachin Gaur

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