यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक सीमा बहाउस ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र आयोग (CSW67) के वार्षिक सत्र के अवसर पर गुरूवार को यूएन मुख्यालय में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में ये बात कही.
इस कार्यक्रम का आयोजन संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन (PMI) ने किया था जिसका मुख्य विषय था – प्रौद्योगिकी और कौशल विकास के माध्यम से, सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त करना.
इस संगोष्ठि में विशेष रूप से इन मुद्दों पर भी चर्चा हुई:
इंटरनैट और प्रौद्योगिकी तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करने में चुनौतियाँ व मुद्दे.
महिलाओं व लड़कियों के सशक्तिकरण में प्रौद्योगिकीय नवाचार और प्रथाएँ.
कार्यबल में भागेदारी में व्याप्त खाई को भरने और प्रौद्योगिकी तक पहुँच व उसके प्रयोग के लिए, लड़कियों और महिलाओं के कौशल निर्माण का रास्ता.
यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक सीमा बहाउस ने इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि इन चुनौतियों के समाधान में पाँच ऐसे प्रमुख क्षेत्र हैं जिन पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है:
- डिजिटल विभाजन को ख़त्म करना.
- तकनीक और नवाचार क्षेत्र में रोज़गार व नेतृत्व पद सुनिश्चित करना.
- समावेशन के सिद्धान्तों का पालन.
- प्रणालीगत परिवर्तन को डिजिटल प्रक्रिया का आधार बनाना.
- डिजिटल तकनीक की पारदर्शिता और जवाबदेही, किसी भी पूर्वाग्रह के बिना सुरक्षित, समावेशी और सुलभ बनाना.
उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रान्ति से महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का एक नया मार्ग मिलने में मदद मिल सकती है जोकि लैंगिक समानता के लिए बेहद अहम है.
सीमा बहाउस ने कहा कि इंटरनैट, डिजिटल मंच, मोबाइल फ़ोन और डिजिटल वित्तीय सेवाएँ, महिलाओं और लड़कियों के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करती हैं. डिजिटल टैक्नॉलॉजी, तेज़ी से समाजों में रूपान्तरकारी बदलाव कर रही हैं और महिलाओं के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता व उनके लिए रोज़गार के अवसर भी बढ़ा रही है.

उड़ान भरने का मौक़ा
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा काम्बोज ने इस संगोष्ठि में कहा कि भारत में बहुत कुछ है जो बदल रहा है, ख़ासतौर पर हमारा विश्वास कि महिलाओं की प्रगति दरअसल, देश की प्रगति व सशक्तिकरण का आधार है.
उन्होंने कहा कि इस बदलाव में शामिल हैं, “महिलाओं की समानता व उनके सशक्तिकरण से आगे बढ़कर, महिलाओं के नेतृत्व में प्रगति और विकास की तरफ़ हमारी बढ़त. महिलाओं के रास्ते में आने वाली हर बाधा को दूर करने का हमारा दृढ़ निश्चय.”

“हमारा अटल विश्वास कि लिंग क्षमता तय नहीं करता है और महिलाओं के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है, महिलाओं के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है, अगर उन्हें उड़ान भरने का मौक़ा दिया जाए.”
कार्यक्रम में महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों में वैश्विक स्तर पर अनेक वर्षों की प्रगति में गिरावट के बारे में भी चर्चा हुई.
G20 देशों की महिला इकाई W20 ने इस कार्यक्रम की सह-मेज़बानी की, जिसकी अध्यक्ष डॉक्टर संध्या पुरेचा ने कहा, “भारत में बुनियादी ढाँचे पर व्यापक दबाव से देश भर में लोगों के जीवन पर असर पड़ा है, मुख्य रूप से ग्रामीण इलाक़ों में ये प्रभाव देखा गया है. ज़्यादातर महिलाओं की इंटरनैट तक पहुँच है जिससे उनकी व्यापार और राजनीति में अधिक भागेदारी दिख रही है.”
लैंगिक विभाजन की खाई को पाटने जैसे मुद्दों पर एक पैनल चर्चा भी रखी गई. बैठक में प्रौद्योगिकी सक्षम सामाजिक और आर्थिक उन्नति व महिलाओं और लड़कियों के लिए अहम, अन्य मुद्दों पर अनेक महिला अग्रणी हस्तियों ने विचार साझा किए.