इस वर्ष आयोग के, एक पखवाड़े तक चलने वाले इस वार्षिक सत्र की थीम थी – लगातार जारी भेदभाव, दुर्व्यवहार, और वर्चुअल दुनिया में स्त्रीद्वेष की प्रमुखता.
ये आयोग, 1946 से ही, महिलाओं के लिए अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहा है.
इस वर्ष इस सत्र का मुख्य उद्देश्य डिजिटल दुनिया में समान अवसरों की दिशा में प्रगति को आगे बढ़ाना, और ऐसे मुद्दों के समाधानों पर बात करना था जो महिलाओं व लड़कियों को प्रभावित करते हैं. इनमें प्रौद्योगिकी तक सीमित पहुँच, असंगत ऑनलाइन हिंसा, और प्रौद्योगिकी उद्योगों में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व व लैंगिक पूर्वाग्रह जैसे मुद्दे शामिल हैं.
इस आयोग में 45 सदस्य देश हैं और इस सत्र के समापन पर “सहमत निष्कर्ष” नामक एक आधिकारिक दस्तावेज़ जारी किया गया है, जिसमें लैंगिक समानता हासिल करने में, प्रौद्योगिकी और नवाचार की अहम भूमिका को स्वीकार किया गया है.
महिला कल्याण के लिए सक्रिय संयुक्त राष्ट्र संस्था – यूएन वीमैन के शनिवार को जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि यह दस्तावेज़ महिलाओं व लड़कियों की पूर्ण व समान भागेदारी और नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए, तमाम हितधारकों, सरकारों, निजी सैक्टर, सिविल सोसायटी और युवजन के लिए एक ब्लूप्रिंट है.
ये भागेदारी व नेतृत्व विशेष रूप से ऐसी डिजिटल प्रौद्योगिकियों और नवाचारी प्रक्रियाओं के डिज़ायन, उनके रूपान्तरण और एकाकरण क्षेत्रों में लक्षित है जो महिलाओं व लड़कियों के मानवाधिकारों और ज़रूरतों की पूर्ति करें.
ज़्यादा समान और सम्बद्ध दुनिया
यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक सीमा बहाउस ने इस बैठक के समापन सत्र में कहा, “इस वर्ष के सहमत निष्कर्ष क्रान्तिकारी परिवर्तन वाले हैं और महिलाओं व लड़कियों के लिए, उनकी पूर्ण विविधता के साथ, एक ज़्यादा समान व सम्बद्ध दुनिया के सपने को आगे बढ़ाते हैं. आज यहाँ से हटने के बाद, ये हमारा काम है कि हम इन्हें वास्तविकता में तब्दील करें.”
“इन सहमत निष्कर्षों की अन्तिम सफलता, इन्हें आज यहाँ अन्तिम रूप दिए जाने से भी कहीं आगे निहित है, ये कि हम सामूहिक रूप से किस तरह इन्हें आगे बढ़ाते हैं. आइए, हम इन्हें सभी महिलाओं व लड़कियों के लिए, वास्तविकता में परिवर्तित करें.”
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