स्कूली आहार से बच्चों के लिए अनेक लाभ, मगर निर्बलों की पहुँच से अब भी दूर


State of School-Feeding Worldwide नामक इस अध्ययन के अनुसार, मौजूदा वैश्विक खाद्य संकट के बीच, अनेक परिवारों के सामने भरण-पोषण का संकट है. इस पृष्ठभूमि में, देशों की सरकारें स्कूली आहार कार्यक्रमों की अहमियत को समझ रही हैं.

स्कूली आहार, निर्बल बच्चों और घर-परिवारों के लिए एक अहम सुरक्षा उपाय है, एक ऐसे समय में जब 34 करोड़ 50 लाख से अधिक लोग संकट स्तर पर भूखमरी का सामना कर रहे हैं, जिनमें 15 करोड़ से अधिक बच्चे और युवजन हैं.

यूएन खाद्य कार्यक्रम में स्कूल-आधारित कार्यक्रमों की प्रमुख कारमेन बुरबानो ने कहा, “दुनिया एक वैश्विक खाद्य संकट से जूझ रही है, जो लाखों-करोड़ों बच्चों से उनका भविष्य छीन सकता है, ऐसे में स्कूली आहार की एक अहम भूमिका है.”

“ऐसे अनेक देशों में जहाँ हम काम करते हैं, वहाँ स्कूलों में मिलने वाला आहार बच्चों के लिए दिन का एकमात्र भोजन हो सकता है.”

वैश्विक महामारी से सबक़

विश्व खाद्य कार्यक्रम ने बताया कि दोपहर में स्कूली भोजन को फिर से शुरू करने के लिए, देशों द्वारा उपाय किए जा रहे हैं. वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण इन कार्यक्रमों में व्यवधान दर्ज किया गया था.

इस वजह से स्कूली आहार पाने वाले लड़के-लड़कियों की संख्या में वृद्धि हुई है, जोकि स्कूलों में कुल बच्चों की संख्या का 41 प्रतिशत है.

वैश्विक स्तर पर सुधार दर्ज किए जाने में सरकारों के नेतृत्व में संचालित स्कूली आहार गठबंधन का भी समर्थन प्राप्त हुआ है, जिसे वैश्विक महामारी के दंश को कम करने के लिए 2020 में स्थापित किया गया था.

फ़िलहाल, 75 देशों की सरकारें इस गठबंधन का सदस्य हैं, जिसका उद्देश्य, वर्ष 2030 तक हर बच्चे के लिए स्कूलों में प्रति दिन पोषक आहार सुनिश्चित करना है.

विशाल निवेश की दरकार

मगर, यूएन एजेंसी की रिपोर्ट में धनी देशों और निम्न-आय वाले देशों में पसरी विषमताओं की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया गया है. धनी देशों में 60 प्रतिशत स्कूली बच्चों को भोजन दिया जाता है, जबकि निम्न-आय वाले देशों के लिए यह आँकड़ा केवल 18 प्रतिशत है.

वैश्विक महामारी कोविड-19 से पूर्व के स्तर की तुलना में यह चार फ़ीसदी कम है – अफ़्रीकी क्षेत्र में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.

अध्ययन के अनुसार, कुछ निम्न-आय वाले देश अपने राष्ट्रीय कार्यक्रमों को फिर से शुरू करने में असमर्थ हैं, और उन्हें अधिक सहायता की आवश्यकता होगी.

आठ अफ़्रीकी देशों में 10 प्रतिशत से भी कम स्कूली बच्चों को निशुल्क या सस्ती दरों पर स्कूली आहार प्राप्त होता है.

यूएन एजेंसी अधिकारी बुरबानो ने कहा, “जहाँ बच्चों को सर्वाधिक स्कूली आहारों की आवश्यकता है, वहाँ निवेश सबसे कम हैं.”

“हमें निम्न-आय वाले देशों को समर्थन प्रदान करने की ज़रूरत है, ताकि वे इन कार्यक्रमों के सतत वित्त पोषण के रास्ते ढूंढ सकें. इसके लिए दानदाता देशों से समय-आधारित समर्थन की ज़रूरत होगी और घरेलू निवेश भी बढ़ाया जाना होगा.”

फ़िलिपींस के एक WFP-समर्थित स्कूल में बच्चों को भोजन परोसा जा रहा है.

विविध प्रकार के लाभ

रिपोर्ट में स्कूली आहार के अनेकानेक लाभों को रेखांकित किया गया है. विशेषज्ञों के अनुसार, दोपहर का भोजन निशुल्क प्रदान किए जाने से, कक्षाओं में बच्चों की संख्या बढ़ाई जा सकती है, विशेष रूप से लड़कियों की संख्या.

साथ ही, स्कूलों में उनकी उपस्थिति से पढ़ाई-लिखाई बेहतर होने की सम्भावना बढ़ जाती है.

शोध निष्कर्ष दर्शाते हैं कि स्वास्थ्य और शिक्षा के सम्मिश्रण से, निर्धन देशों में बच्चों को ग़रीबी और कुपोषण के चक्र से बाहर आने का रास्ता मिलता है.

इसके अलावा, स्कूली आहार कार्यक्रमों से पंजीकरण दरें बढ़ाने में सहायता मिलती है और उपस्थिति भी में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.



From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Sachin Gaur

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