यूनीसेफ़ की शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को जारी अपने एक वक्तव्य में क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि यह जानकर गहरी निराशा हुई है कि तालेबान प्रशासन ने एक बार फिर, लड़कियों को स्कूलों में जाने से रोक दिया है.
कार्यकारी निदेशक ने कहा कि 10 लाख से अधिक लड़कियों की आशाओं व सपनों को चकनाचूर करने वाला यह निर्णय अदूरदर्शी है और इसे किसी भी प्रकार से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है.
उनके अनुसार यह एक ऐसा दुखद पड़ाव है जो दर्शाता है कि देश भर में महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों का किस हद तक क्षरण हो चुका है.
ग़ौरतलब है कि अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालेबान की वापसी के बाद 12 से 18 साल की लड़कियों को घर पर ही रहने के आदेश जारी किए, जिससे कक्षा सात से 12 तक की छात्राएँ प्रभावित हुईं.
अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर निन्दा और तालेबान प्रशासन की तरफ़ से स्थिति में सुधार के आश्वासनों के बावजूद, लड़कियों की हाईस्कूल स्तर की पढ़ाई-लिखाई प्रभावित हुई है.
यूनीसेफ़ प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि पिछले तीन वर्षों में अफ़ग़ानिस्तान की लड़कियों के पढ़ने-सीखने के अधिकार को सिरे से नकार दिया गया.
पहले, वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण, फिर माध्यमिक स्कूलों में लड़कियों की पढ़ाई पर लगाई गई पाबन्दी की वजह से.
कैथरीन रसैल ने कहा कि स्कूलों में लड़कियों की अनुपस्थिति से उनके मानसिक स्वास्थ्य, उनके स्वास्थ्य-कल्याण और भविष्य पर भयावह असर हुआ है.
“लड़कियों और किशोरों, जिनमें विकलांगजन भी हैं, के पास शिक्षा पाने का अधिकार है. उन्हें पढ़ने-लिखने से रोके जाने के देश की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य प्रणाली के लिए दूरगामी नतीजे होंगे.”
“अफ़ग़ानिस्तान में हर ओर से लड़कियो की आवाज़ उठ रही है जोकि हमसे उनकी शिक्षा के लिए व्यावहारिक समाधान तलाश किए जाने का आग्रह कर रही है.”
यूनीसेफ़ की शीर्ष अधिकारी ने छठी कक्षा में पढ़ाई करने वाली लड़की, मरयम का उदाहरण दिया, जिन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में यूनीसेफ़ कर्मचारियों को बताया कि स्कूल जाना, जीवन का प्रकाश है.
“अगर, हम स्कूल नहीं जाते हैं तो हमारा जीवन अन्धकारमय हो जाएगा.”
कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने भरोसा दिलाया कि यूनीसेफ़, अफ़ग़ानिस्तान की हर लड़की व महिला के साथ खड़ा है.
इस क्रम में, उन्होंने सत्ता पर क़ाबिज़ तालेबान से आग्रह किया है कि लड़कियों को तत्काल स्कूल वापिस लौटने, अपनी शिक्षा जारी रखने, मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करने और अपने देश के भविष्य में योगदान देने की अनुमति दी जानी होगी.