यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क की प्रवक्ता मार्टा हुर्तादो ने कहा है, “हम ये देखकर बेहद चिन्तित हैं कि हेती में अत्यन्त गम्भीर हिंसा की निरन्तरता क़ाबू से बाहर होती जा रही है.”
हेती में, मार्च के दो सप्ताहों के दौरान ही, हिंसक गुटों की लड़ाइयों में कम से कम 208 लोगों की मौत हो गई है और 164 घायल हुए हैं, 101 लोगों का अपहरण भी किया गया है.
हेती में यूएन कार्यालय ने भी मंगलवार को जारी एक वक्तव्य में, इसी तरह की गम्भीर चिन्ताएँ व्यक्त करते हुए, सशस्त्र गुटों द्वारा की जा रही अत्यन्त गम्भीर हिंसा की निन्दा की है.
यूएन कार्यालय ने साथ ही, हेती के लोगों के साथ अपना समर्थन व्यक्त किया है.
समर्थन बल के लिए कार्य योजना
यूएन मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) की प्रवक्ता ने कहा कि राजधानी पोर्ट ओ प्रिंस और अन्य क्षेत्रों में, हिंसक गुटों के दरम्यान ज़्यादा हिंसक और लगातार लड़ाइयों में, सैकड़ों लोग हताहत हो रहे हैं, हज़ारों विस्थापित हो रहे हैं; और मानवाधिकार उच्चायुक्त ने तत्काल कार्रवाई पर बल दिया है.
प्रवक्ता मार्टा हुर्तादो ने कहा, “हम अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल ऐसे समयबद्ध विशेषीकृत समर्थन बल की तैनाती, ऐसी परिस्थितियों में करने पर विचार करने का अनुरोध करते हैं, जो अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों और मानकों के अनुरूप हों, जिसमें एक व्यापक और सटीक कार्य योजना भी शामिल हो.”
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने हेती सरकार से भी इस गम्भीर स्थिति का समाधान निकालने का आग्रह किया है.
हिंसा चक्र को तोड़ें
प्रवक्ता मार्टा हुर्तादो ने कहा, “हिंसा, भ्रष्टाचार और दंडमुक्ति के चक्र को तोड़ने के लिए, तमाम ज़िम्मेदार तत्वों को, क़ानून के शासन के अनुसार, जवाबदेह ठहराना होगा और उन पर मुक़दमे चलाने होंगे, जिनमें वो तत्व भी शामिल हैं जो इन गुटों को समर्थन व धन मुहैया करा रहे हैं.”
“तमाम पीड़ितों के लिए सच जानने और न्याय व क्षतिपूर्ति पाने के अधिकार का पालन किया जाना होगा.”

हज़ारों लोग विस्थापित
प्रवक्ता ने कहा, “इस दैनिक ख़तरे से बचने के लिए लोग, अपने स्थान छोड़कर अन्यत्र भाग रहे हैं.”
मध्य मार्च तक, कम से कम एक लाख 60 हज़ार लोग विस्थापित हो चुके हैं और उनकी परिस्थितियाँ बहुत विकट हैं. कुछ लोग अपने मित्रों व सम्बन्धियों के साथ ठहरे हुए हैं और उन्हें बहुत कम संसाधनों पर गुज़ारा करना पड़ रहा है.
कुल विस्थापित लोगों की लगभग एक चौथाई संख्या को, अस्थाई बस्तियों में रहना पड़ रहा है जहाँ पीने के पानी और स्वच्छता जैसी बुनियादी सेवाओं तक भी बहुत कम पहुँच हासिल है.