इसराइल व फ़लस्तीन से हाल के राजनयिक प्रयासों से लाभ उठाने का आग्रह


मध्य पूर्व शान्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक टोर वैनेसलैंड ने इसराइल और फ़लस्तीनी – दोनों पक्षों के बीच हिंसा और भड़काऊ बयानबाज़ी बढ़ने की आशंका जताते हुए कहा कि रमज़ान, ईस्टर और फसह की छुट्टियाँ शुरू होने को हैं, और ऐसे में दोनों पक्षों को, हाल ही में हुई राजनयिक बैठकों में हुए समझौतों को मूर्त रूप देना चाहिए. 

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक टोर वैनेसलैंड ने बुधवार को सुरक्षा परिषद में कहा, “यह सभी के लिए सुरक्षित और शान्तिपूर्ण धार्मिक चिन्तन और उत्सव का समय होना चाहिए.”

कूटनैतिक संवाद

विशेष समन्वयक ने याद दिलाया कि 26 फरवरी को, जॉर्डन, मिस्र, इसराइल, फ़लस्तीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों ने पिछले सभी समझौतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने और एक न्यायसंगत एवं स्थाई शान्ति की दिशा में काम करने के लिए जॉर्डन के अकाबा शहर में मुलाक़ात की थी.

सभी पक्षों ने अन्य बातों के अलावा, इलाक़े में तनाव कम करने, एकतरफ़ा उपायों को रोकने और पवित्र स्थलों पर यथास्थिति बनाए रखने सहित, भविष्य में हिंसा को रोकने हेतु क़दम उठाने के लिए प्रतिबद्धता जताई थी.

उस बैठक के बाद 19 मार्च को इसी तरह के एक और सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें मिस्र के शर्म अल-शेख़ में वही समस्त पक्ष शामिल हुए.

टोर वेनेसलैंड ने कहा, “यदि अकाबा में उल्लेखित क़दम लागू किए जाते हैं, तो नकारात्मक ज़मीनी स्थिति को उलटने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण शुरुआत होगी.”

हिंसक पथ

विशेष समन्वयक ने हालाँकि सुरक्षा परिषद को अपने सम्बोधन में कहा कि फ़िलहाल एक बहुत अलग – और बहुत अधिक नकारात्मक स्थिति देखने को मिल रही है.

पिछले कुछ महीनों में दैनिक हिंसा में वृद्धि हुई है, दोनों पक्षों में मौत व घायल होने की घटनाएँ देखने को मिली हैं. साथ ही, इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्रों में स्थित संरचनाओं का, इसराइल द्वारा विध्वंस और अधिग्रहण जारी है.

26 फरवरी को एक फ़लस्तीनी व्यक्ति द्वारा दो इसराइली नागरिकों की हत्या के बाद, सैकड़ों इसराइली जन, पश्चिमी तट के शहर हुववारा में उतर आए, जिसमें एक फ़लस्तीनी की मौत हो गई और 300 से अधिक अन्य घायल हो गए. वहीं, इसके जवाब में, फ़लस्तीनी सशस्त्र समूहों ने ग़ाज़ा से इसराइल की ओर सात रॉकेट दागे.

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR), वॉल्कर टर्क ने हाल ही में इस प्रवृत्ति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा था कि 2022 में, इसराइली सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए फ़लस्तीनियों की संख्या, और 2016 के बाद से मारे गए इसराइलियों की संख्या, पिछले 17 वर्षों की सबसे अधिक रही है.

भड़काऊ बयानबाज़ी

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टोर वैनेसलैंड ने इसराइल द्वारा नई क़ानूनी कार्रवाइयों की एक श्रृंखला को भी रेखांकित किया, जो सुरक्षा परिषद के महत्वपूर्ण प्रस्तावों और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के विरुद्ध है.

उन्होंने ख़ासतौर पर 2005 के विघटन क़ानून के हिस्से को निरस्त करने के सरकार के फ़ैसले का हवाला दिया, जिसके तहत पहले इसराइली निवासियों को क़ब्ज़े वाले पश्चिमी तट के कुछ हिस्सों को ख़ाली करने का आदेश दिया गया था.

इसराइल ने अपने क़ब्ज़े वाले उस क्षेत्र में हाल ही में नौ बसावट चौकियों को अधिकृत करने और 7,200 से अधिक नई आवास इकाइयों के लिए उन्नत योजनाओं की घोषणा की.

चिन्ता का एक अन्य प्रमुख स्रोत है, दोनों संघर्षरत पक्षों के बीच बढ़ती बयानबाज़ी.

टोर वैनेसलैंड ने कहा कि फ़लस्तीनी फ़तह पार्टी के कुछ अधिकारियों ने इसराइलियों के ख़िलाफ़ हमलों के अपराधियों का महिमामंडन किया है, जबकि इसराइली संसद के कई सदस्यों ने फ़लस्तीनी बस्तियों के ख़िलाफ़ हमलों की प्रशंसा की, और एक ने तो इसराइली बलों द्वारा हुववारा शहर का “सफ़ाया” करने तक का आहवान कर दिया.

संयम बरतने की अपील

विशेष समन्वयक ने सुरक्षा परिषद में दो-देशीय समाधान व आतंकवाद एवं एकतरफ़ा कार्रवाइयों के विरुद्ध प्रतिबद्धता जताने वाले, हाल ही के अध्यक्षीय वक्तव्य को याद करते हुए, दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की.

उन्होंने, विशेष रूप से इसराइल के बस्ती-विस्तार पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए चेतावनी दी कि इस तरह की कार्रवाइयों से “मोर्चाबन्दी बढ़ती है, और यह तनाव बढ़ाने व व्यवस्थित रूप से दो-देशीय समाधान के तहत एक फ़लस्तीनी देश की स्थापना की व्यवहार्यता नष्ट करती हैं.”

दोनों पक्षों के नेताओं को स्थिति को शान्त करने में मदद करनी चाहिए, भड़काऊ बयानबाज़ी से बचना चाहिए और हिंसा भड़काने वालों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए.

उन्होंने कहा, “तनाव की स्थिति घटाने और राजनैतिक क्षितिज दोबारा स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ना बेहद महत्वपूर्ण है.”





From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Anshu Sharma

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