ऑटिज़्म, विविध प्रकार की अवस्थाओं का समूह है, जोकि मस्तिष्क के विकास से सम्बन्धित हैं. इस अवस्था को आरम्भिक बचपन में पहचानना सम्भव है, मगर अक्सर इसका पता लम्बे समय बाद चलता है.
ऑटिस्टिक लोगों के लिए सामाजिक मेलजोल व बातचीत, सीखना-समझना आम तौर से अलग तरह से होता है, और कुछ मामलों में उनकी गतिविधियों व व्यवहार का रुझान अलग प्रकार से होता है.
उदाहरणस्वरूप, एक गतिविधि से दूसरी गतिविधि की ओर जाते समय होने वाली मुश्किल, एकाग्रता में कठिनाई और सम्वेदन या सनसनाहट के प्रति असाधारण प्रतिक्रिया.
यूएन महासचिव ने अपने सन्देश में ऑटिज़्म के साथ रह रहे व्यक्तियों के योगदानों को पहचानने और उनके अन्तर्निहित अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए अपने संकल्प को फिर से मज़बूती देने का आग्रह किया है.
अधिकारों के रास्ते में अवरोध
“महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, ऑटिज़्म के साथ व्यक्तियों को अपने अधिकारों व बुनियादी स्वतंत्रताओं के पूर्ण इस्तेमाल में सामाजिक व पर्यावरणीय अवरोधों का सामना अब भी करना पड़ रहा है.”
यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि उनके ये अधिकार विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर सन्धि और टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा के अनुरूप हैं.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हमें बेहतर प्रयास करने होंगे – समावेशी शिक्षा, समान रोज़गार अवसरों, स्व-निर्धारण, और एक ऐसे माहौल को बढ़ावा देकर, जहाँ हर व्यक्ति का सम्मान किया जाए.
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि इन प्रयासों में हमें ऑटिस्टिक व्यक्तियों के जीवन में परिवारों, देखभालकर्मियों और समर्थन नैटवर्क की भूमिका को भी मान्यता देनी होगी.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी के अनुसार, आज और हर दिन, ऑटिज़्म के साथ रह रहे लोगों के हमारे समाजों में योगदान को पहचाना जाना होगा, और ऑटिस्टिक व्यक्तियों के साथ मिलकर प्रयास करने होंगे, ताकि सर्वजन के लिए एक समावेशी और सुलभ जगत का निर्माण किया जा सके.