इस रक़म से, इस पश्चिमी अफ़्रीकी देश में 31 लाख लोगों की सहायता की जाएगी. यह देश इस समय, अपने इतिहास के बदतरीन मानवीय संकट का सामना कर रहा है.
सशस्त्र गुटों की गतिविधियों और सैन्य अभियानों के कारण, देश में व्यापक पैमाने पर लोगों का विस्थापन हुआ है और लगभग 20 लाख लोगों को अपने स्थान छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा है.
मानवाधिकार हनन और उल्लंघन के मामलों और राजनैतिक अस्थिरता ने, बढ़ती ज़रूरतों और निर्बल परिस्थितियों में और ज़्यादा ईंधन झोंका है, जिनमें पिछले साल बेतहाशा वृद्धि हुई.
एक चिन्ताजनक स्थिति
बुर्कीना फ़ासो में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी अब्दुल रऊफ़ ग्नॉन-कोंडे का कहना है, “बुर्कीना फ़ासो में वर्ष 2023 के दौरान स्थिति अभूतपूर्व रूप से ज़्यादा चिन्ताजनक है.” उन्होंने बताया कि ज़रूरतमन्दों में आधी से ज़्यादा संख्या बच्चों की है.
अब्दुल रऊफ़ ग्नॉन-कोंडे ने कहा, “मानवीय सहायता के सिद्धान्तों के अनुरूप, हमारा प्रमुख उद्देश्य, कमज़ोर हालात वाले लोगों को, उनकी ज़रूरतों के आधार पर सहायता उपलब्ध कराना है, वो चाहें जिस स्थान पर भी हों.”
वर्ष 2023 की मानवीय सहायता अपील में, देश के भीतर 127 प्रशासनिक इकाइयों में सहायता कार्यक्रम चलाने को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनमें विशेष रूप से दुर्गम इलाक़ों तक सहायता पहुँचाने पर ज़्यादा ज़ोर रहेगा.
ज़रूरतें बढ़ रही हैं
इस सहायता योजना में मानवीय सहायता समुदाय और सरकार अधिकारियों के बीच तालमेल का लाभ उठाया जाएगा, ताकि सहायता सामग्री की प्रभावशाली और कुशल उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके.
वर्ष 2022 में देश के लिए मानवीय सहायता अपील के जवाब में 33 करोड़ 85 लाख डॉलर की राशि प्राप्त हुई थी. उस रक़म के ज़रिए, पहुँच और वित्तीय बाधाओं के बावजूद, 22 लाख से ज़्यादा लोगों की मदद की गई.
हालाँकि, मानवीय सहायता कर्मियों ने आगाह भी किया है कि ज़रूरतों में सघनता और भौगोलिक दायरे के अनुसार, बहुत वृद्धि हुई है.
