महासचिव गुटेरेश ने सोमवार को यूएन सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा, “मुझे यह स्पष्टता से कहना है: संयुक्त राष्ट्र, सूडान को छोड़कर नहीं जा रहा है.”
“हमारी प्रतिबद्धता, सूडानी लोगों के लिए है, एक शान्तिपूर्ण व सुरक्षित भविष्य के लिए उनकी आकाँक्षाओं के समर्थन में. हम इस भयावह समय में उनके साथ खड़े हैं.”
इससे पहले, यूएन महासचिव ने अपने प्रवक्ता द्वारा किए गए एक वक्तव्य में यूएन कर्मचारियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाए जाने का अभियान पूरा होने की जानकारी दी थी.
सूडान में यूएन सहायता मिशन (UNITAMS) द्वारा जारी एक वक्तव्य में विशेष प्रतिनिधि वोल्कर पैर्थेस ने बताया है कि यूएन कर्मचारियों को सूडान से सुरक्षित निकाल कर पड़ोसी देशों में भेजा जाएगा, जहाँ से सूडान की जनता तक सहायता पहुँचाने के लिए प्रयास जारी रखे जाएंगे.
बताया गया है कि संयुक्त राष्ट्र, अन्तरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों, दूतावास कर्मचारी और उनके परिवारजन, पोर्ट सूडान, सड़क मार्ग से पहुँचे हैं.
उन्होंने सूडान के सैन्यकर्मियों और अर्द्धसैनिक बलों द्वारा दर्शाए गए सहयोग की सराहना की थी, जिसके फलस्वरूप यूएन कर्मचारियों को लाल सागर पर पोर्ट सूडान तक सुरक्षित पहुँचाना सम्भव हो पाया.
यूएन प्रमुख ने सभी पक्षों से टकराव को तुरन्त रोकने और हिंसा प्रभावित इलाक़ों से आम लोगों को सुरक्षित निकलने का रास्ता देने की अपील दोहराई है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सम्पूर्ण यूएन प्रणाली, सूडान के लोगों के साथ, उनके लिए काम करने, और एक शान्तिपूर्ण, सुरक्षित भविष्य व लोकतंत्र की ओर क़दम बढ़ाने की उनकी आकाँक्षा के समर्थन में है.
चार वर्ष पहले, लम्बे समय तक सूडान की बागडोर सम्भालने वाले पूर्व राष्ट्रपति ओमार अल-बशीर को सत्ता से हटाने के बाद से ही, दोनों युद्धरत पक्षों ने एक साथ मिलकर काम किया है.
सहयोग से लड़ाई तक
वर्ष 2021 में एक साझा अभियान के ज़रिये सैन्य तख़्तापलट भी किया गया, जिससे सेना और नागरिकों द्वारा सत्ता साझा किए जाने पर हुए समझौते का अन्त हो गया था.
हाल के महीनों में, देश में नागरिक शासन की वापसी के मुद्दे पर दोनों धड़ों में मतभेद उभरे और नागरिक सरकार के गठन की योजना पर सहमति नहीं बन पाई. उसके बाद, सूडान सेना और अर्द्धसैनिक बलों में लड़ाई भड़क उठी.
महासचिव गुटेरेश ने सोमवार को बहुपक्षवाद की अहमियत पर आम चर्चा के दौरान सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित किया.
उन्होंने नागरिक इलाक़ों और केन्द्रों पर ताबड़तोड़ बमबारी की निन्दा की है और सदस्य देशों से आग्रह किया है कि युद्धरत पक्षों को हिंसा रोकने, शान्ति व्यवस्था बहाल करने और लोकतंत्र की दिशा में क़दम बढ़ाने के लिए राज़ी करने के लिए हरसम्भव प्रयास किए जाने होंगे.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने बताया कि वह ख़ारतूम में सैन्य नेतृत्व के साथ निरन्तर सम्पर्क में हैं और उनसे बातचीत के मेज़ पर वापिस लौटने का आग्रह किया है.
महासचिव ने कहा है कि आम नागरिकों को राहत दी जानी होगी ताकि वे अपने लिए भोजन, जल और अन्य अति-आवश्यक आपूर्ति की व्यवस्था कर सकें और हिंसा प्रभावित इलाक़ों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण ले सकें.
मानवीय राहत मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय ने बताया कि 9 दिनों से जारी लड़ाई में अब तक 427 लोगों की मौत हो चुकी है और तीन हज़ार 700 से अधिक घायल हुए हैं.
अब तक, कम से कम 11 स्वास्थ्य केन्द्रों पर हमला होने की ख़बर है, और ख़ारतूम व दारफ़ूर में अनेक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कामकाज ठप हो गया है.