यूनीसेफ़ के शिक्षा निदेशक, रॉबर्ट जेनकिंस ने कहा, “लड़कियों और लड़कों के बीच डिजिटल असमानता को पाटने के मायने, इंटरनेट और प्रौद्योगिकी तक पहुँच से कहीं बढ़कर हैं. मुख्यत: यह लड़कियों को नवप्रवर्तक, निर्माता और नेता बनने के लिए सशक्त बनाने के बारे में है.”
“अगर हम श्रम बाज़ार में, विशेष रूप से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्रों (यानि STEM) में लैंगिक अंतराल पाटना चाहते हैं, तो हमें आज से ही युवाओं, विशेष रूप से लड़कियों को, डिजिटल कौशल हासिल करने में मदद करने से शुरूआत करनी होगी.”
लैगिक असमानता
Bridging the Digital Divide: Challenges and an Urgent Call for Action for Equitable Digital Skills Development नामक इस रिपोर्ट में, 15-24 आयु वर्ग के युवाओं के बीच लैंगिक डिजिटल विभाजन का सूक्ष्म विश्लेषण किया गया है.
यह रिपोर्ट मुख्यत: निम्न, निम्न-मध्यम और कुछ मध्यम-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं से, इंटरनेट उपयोग, मोबाइल फोन के स्वामित्व और डिजिटल कौशल पर प्राप्त आँकड़ों पर आधारित है. हालाँकि डिजिटल समावेशन पर काम करने के लिए, बेहतर निगरानी व समझ हेतु अधिक डेटा की आवश्यकता है, लेकिन रिपोर्ट में पाया गया है कि तेज़ी से डिजिटल हो रही, परस्पर जुड़ी दुनिया में, लड़कियों को पीछे छोड़ दिया जा रहा है.
कौशल की कमी
हालाँकि इंटरनेट तक पहुँच बढ़ाना महत्वपूर्ण है, लेकिन डिजिटल कौशल प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए यह पर्याप्त नहीं है. उदाहरण के लिए, विश्लेषण किए गए अधिकाँश देशों में, घर पर इंटरनेट तक पहुँच रखने वाले युवाओं की संख्या, डिजिटल कौशल प्राप्त युवाओं की संख्या से कहीं अधिक है.
रिपोर्ट के अनुसार, लड़कियों को 21वीं सदी सम्बन्धित ज्ञान व आवश्यक रोज़गार कौशल विकसित करने के अवसर मिलने की सम्भावना कम ही रहती है.
औसतन 32 देशों व क्षेत्रों में, अपने पुरुष साथियों की तुलना में, लड़कियों में डिजिटल कौशल होने की सम्भावना 35 प्रतिशत कम है, जिसमें फ़ाइलों व फ़ोल्डरों को कॉपी या पेस्ट करना, ईमेल भेजना या फ़ाइलों को स्थानांतरित करने समबन्धी कौशल शामिल है.
लड़कों के लिए फोन
रिपोर्ट के मुताबिक, लैंगिक डिजिटल विभाजन में शैक्षिक एवं पारिवारिक वातावरण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
उदाहरण के लिए, एक ही घर के भीतर भी, लड़कों की तुलना में लड़कियों के इंटरनेट और डिजिटल तकनीकों तक पहुँचने या उनका पूरा उपयोग करने की सम्भावना बहुत कम रहती है. विश्लेषण में शामिल 41 देशों और क्षेत्रों में, घरों के भीतर लड़कियों की तुलना में लड़कों को मोबाइल फोन मिलने की सम्भावना अधिक रहती है.
यूनीसेफ़ ने कहा कि उच्च शिक्षा और श्रम बाज़ार के अवसरों तक पहुँच में बाधाएँ, व्यापक भेदभावपूर्ण लैंगिक मानदंड एवं पूर्वाग्रह, और ऑनलाइन सुरक्षा पर चिन्ताएँ, लड़कियों की डिजिटल पहुँच व कौशल विकास को और भी प्रतिबंधित कर सकती है.
बाधाओं को तोड़ने के लिए, उन्हें शुरू से ही प्रौद्योगिकी, डिजिटल और जीवन कौशल प्रशिक्षण तक पहुँच की आवश्यकता है, जो उन्हें खडासतौर पर परिवारों में व्याप्त हानिकारक लैंगिक पूर्वाग्रहों, और ऑनलाइन हिंसा के प्रभाव से निपटने में भी मदद करता है.
यूनीसेफ़, सरकारों और भागीदारों से, लैंगिक विभाजन को पाटने और यह सुनिश्चित करने का आहवान कर रहा है कि लड़कियाँ डिजिटल दुनिया में सफल हो सकें. रिपोर्ट में यूनीसेफ़ की कुछ सिफ़ारिशें इस प्रकार हैं:
• सामुदायिक कार्यक्रमों सहित स्कूल के अंदर और बाहर, लड़कियों और लड़कों को समान रूप से डिजिटल कौशल सिखाना.
• सुरक्षित वर्चुअल स्थलों, नीतियों व क़ानूनों और शिक्षा के ज़रिए लड़कियों की ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करना.
• डिजिटल/ STEM दुनिया में, सहकर्मी शिक्षा, सलाह, इंटर्नशिप और जॉब शैडोइंग तक लड़कियों की पहुँच को बढ़ावा देना.