सुरक्षा परिषद ने गुरूवार को हुई एक बैठक में जापान और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा पेश किए गए एक प्रस्ताव को पारित किया, जिसमें अफ़ग़ान समाज में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया है.
15 सदस्य देशों वाली परिषद ने सर्वमत से प्रस्ताव 2681 को पारित किया है, जिसमें अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों की पूर्ण, समान, अर्थपूर्ण भागीदारी पर बल दिया गया है.
साथ ही, सभी देशों और संगठनों से आग्रह किया गया है कि वे अपने प्रभाव के इस्तेमाल के ज़रिये और यूएन चार्टर के अनुरूप, इन नीतियों को तत्काल वापिस लिए जाने की दिशा में तेज़ प्रयास करें.
ग़ौरतलब है कि तालेबान नेताओं ने देश में निर्वाचित सरकार को अगस्त 2021 में सत्ता से बेदख़ल कर देने के बाद से, सार्वजनिक जीवन में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर तेज़ी से पाबन्दियाँ थोपी हैं.
इनमें लड़कियों की माध्यमिक और उच्च शिक्षा पर पाबन्दी, अपने किसी परिवार के पुरुष सदस्य की मौजूदगी के बिना बाहर जाने, काम करने, शिक्षा प्राप्त करने और यात्रा करने के अधिकारों पर लगी पाबन्दियाँ हैं.
दिसम्बर 2022 में पहले उनके ग़ैर-सरकारी संगठनों के लिए काम करने और फिर यूएन में महिला स्टाफ़ पर पाबन्दी लगा दी गई. सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने कहा है कि ऐसी पाबन्दियों से देश में मानवाधिकार और मानव कल्याण सिद्धान्त कमज़ोर हुए हैं.
प्रस्ताव में ज़ोर देकर कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में, यूएन महिला स्टाफ़ पर लगाई गई यह पाबन्दी अभूतपूर्व है.

चिन्ताजनक हालात
अगस्त 2022 के बाद से, 10 में से 9 अफ़ग़ान परिवार, अपने लिए भेरपेट भोजन का इन्तज़ाम नहीं कर पा रहे हैं, जोकि विश्व में सर्वाधिक संख्या है.
देश की लगभग दो तिहाई आबादी यानि 2 करोड़ 80 लाख लोगों को, वर्ष 2023 के दौरान मानवीय सहायता की आवश्यकता है. ये संख्या वर्ष 2021 की तुलना में तीन गुना बढ़ गई है.
यूएन मानवीय राहत समन्वयक ने हाल ही में चेतावनी जारी की थी कि अफ़ग़ानिस्तान, विश्व में सबसे कम वित्त पोषित अभियानों में है, और अब तक आवश्यक सहायता धनराशि में से केवल पाँच फ़ीसदी से कम का ही प्रबन्ध हो पाया है.
सुरक्षा परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव में, सदस्य देशों ने चिन्ता जताई है कि इन पाबन्दियों से देश भर में यूएन के राहत अभियानों और ज़रूरतमन्द आबादी तक जीवनदायी सहायता व बुनियादी सेवाएँ पहुँचाने के प्रयासों पर असर होगा.
परिषद ने ज़ोर देकर कहा कि देश में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA), इन प्रतिबन्धों को वापिस लिए जाने तक अपने मानव कल्याण शासनादेश (mandate) को लागू कर पाने में असमर्थ होगा.
सुरक्षा परिषद ने देश में यूएन मिशन के कामकाज के लिए अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया है और तालेबान प्रशासन समेत सभी हितधारकों से संयुक्त राष्ट्र व सम्बद्ध कर्मचारियों की सुरक्षा, सलामती व आवागमन की आज़ादी को सुनिश्चित किए जाने का आग्रह किया है.