रासायनिक प्रदूषण के विरुद्ध कारगर क़दम उठाए जाने पर चर्चा


अगले दो सप्ताह तक चलने वाली इन बैठकों में, विषैले रसायनों की सूची में ‘सदैव रसायन’ (forever chemicals) नामक उन पदार्थों को शामिल किए जाने की सम्भावना है, जिन पर ‘स्टॉकहोम सन्धि‘ के अन्तर्गत प्रतिबन्ध या सख़्ती है.

यह वैश्विक सन्धि, लम्बे समय तक प्रदूषण की वजह बनने वाले रसायनों से मानव स्वास्थ्य व पर्यावरण की रक्षा पर लक्षित है.

बैठक के दौरान, ख़तरनाक रसायनों के प्रबन्धन के लिए ‘रोटेरडैम सन्धि’ के अन्तर्गत रसायनों और कीटनाशकों के इस्तेमाल के पुख़्ता नियामन के रास्तों की भी तलाश की जाएगी.

इसके अलावा, पार-सीमा ख़तरनाक अपशिष्ट प्रबन्धन पर ‘बासेल सन्धि’ के तहत प्लास्टिक और ई-कचरे के बेहतर प्रबन्धन पर तकनीकी दिशानिर्देश विकसित किए जाने पर भी विचार-विमर्श होगा.

लाखों के स्वास्थ्य पर असर

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्ष 2019 में, हानिकारक रसायनों के कारण हृदय रोग, श्वसन तंत्र सम्बन्धी बीमारियों और कैंसर समेत अन्य रोगों से 20 लाख से अधिक मौतें होने की आशंका है.

इन मौतों के लिए केवल उन रसायनों को ज़िम्मेदार माना गया है, जिनके बारे में फ़िलहाल डेटा उपलब्ध है.

अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों में, स्टॉकहोम सन्धि पर सम्बद्ध पक्षों के सम्मेलन की 11वीं बैठक में, अनुपालन प्रक्रिया व तंत्रों के विकास पर चर्चा होगी, और इस सन्धि के दूसरे आकलन से प्राप्त हुई सिफ़ारिशों की समीक्षा की जाएगी.

इनमें कीटनाशक डीडीटी का इस्तेमाल जारी रखे जाने का आकलन भी है, जिसे कुछ देशों में मलेरिया पर नियंत्रण पाने के रूप में प्रयोग किया जाता है.

अपशिष्ट प्रबन्धन

मई महीने के अन्त में, फ़्राँस की राजधानी पेरिस में एक बैठक होनी है, जहाँ प्लास्टिक प्रदूषण पर क़ानूनी रूप से बाध्यकारी, एक नई सन्धि की दिशा में प्रगति होने की सम्भावना है.

इसके साथ-साथ, प्लास्टिक अपशिष्ट और कार्बनिक प्रदूषकों के पर्यावरणीय दृष्टि से बेहतर प्रबन्धन के लिए तकनीकी दिशानिर्देशों को पारित किए जाने पर भी विमर्श होगा.

इस सन्धि से जुड़े साझेदार संगठनों के कामकाज पर केन्द्रित एक अपडेट भी साझा किया जाएगा, जिसमें इलैक्ट्रॉनिक व इलैक्ट्रिक अपशिष्ट, प्लास्टिक कचरे, घरों से निकलने वाले कचरे पर जानकारी होगी.

साथ ही, हानिकारक व अन्य अपशिष्ट की अवैध तस्करी से निपटने और उसके रोकथाम उपायों को भी सम्बद्ध पक्षों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाना है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा है कि विश्व भर में, रसायनों का कुल उत्पादन बढ़ रहा है और वर्ष 2017 से 2030 की अवधि में उनकी बिक्री भी बढ़कर दोगुनी होने की सम्भावना है.



From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Sachin Gaur

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