एक लाख से अधिक लोग सूडान छोड़कर भाग चुके हैं – यूएनएचसीआर


लड़ाई से बचकर भागने वाले लोगों में, सूडानी शरणार्थियों के अलावा वे लोग भी शामिल हैं जो सूडान में स्वयं शरणार्थी थे. UNHCR का अनुमान है कि शरणार्थियों और लौटने वालों की संख्या बढ़कर 8 लाख से अधिक हो सकती है.

यूएनएचसीआर की प्रवक्ता, ओल्गा सर्राडो ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि सात पड़ोसी देशों में से कई, पहले से ही बड़ी संख्या में, शरणार्थी एवं आंतरिक रूप से विस्थापित आबादी की मेज़बानी कर रहे हैं.

“इनमें से अधिकाँश गम्भीर अभावों में गुज़र-बसर कर रहे हैं. शरण देने वाले देशों को, सुरक्षा एवं सहायता प्रदान करने के लिए अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता है. तत्काल ज़रूरतों में, पानी, भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य देखभाल, राहत सामग्री, लिंग आधारित हिंसा प्रतिक्रिया एवं रोकथाम और बाल संरक्षण सेवाएँ शामिल हैं.”

और लोगों के मौत का शिकार होने की आशंका

अधिकाँश लड़ाई शहरी क्षेत्रों में हो रही है, जिससे युद्धरत सेनाओं के बीच गोलीबारी में, आम नागरिक फंस रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी कि आवश्यक सेवाओं की कमी के कारण “कई लोगों के मौत का शिकार होने की आशंका है”, साथ ही साथ संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता, फ़रहान हक़ ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में नियमित ब्रीफिंग में कहा कि बीमारी के प्रकोप से होने वाली मौतों का ख़तरा भी बढ़ रहा है.

उन्होंने बताया, “लड़ाई से तबाह क्षेत्रों में चिकित्सा सामग्री की बेहद कमी है – जिनमें राजधानी ख़ारतूम, और पश्चिम एवं मध्य दारफ़ूर शामिल हैं. कुछ क्षेत्रों में ईंधन से लेकर खाने-पीने की चीज़ों और बोतलबंद पानी जैसी बुनियादी वस्तुओं की क़ीमतों में, 40 से 60 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.”

3 लाख 30 हज़ार से अधिक विस्थापित

प्रवासन के लिए अन्तरराष्ट्रीय संगठन (आईओएम) का अनुमान है कि सूडानी सशस्त्र बल (SAF)  और अर्द्धसैनिक गुट, त्वरित समर्थन बल (RSF) के बीच टकराव के बाद से, सूडान के भीतर 3 लाख 34 हज़ार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.

फ़रहान हक़ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) द्वारा, ख़ारतूम के छह अस्पतालों को महत्वपूर्ण जल, एवं स्वच्छता सहायता व उत्तरी दारफ़ूर के एक अस्पताल में ट्रकों के ज़रिए पानी भेजकर, बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं. एजेंसी ने राजधानी अल फ़शर के स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य एवं पोषण किटें भी भेजी हैं.

सूडान से आए नए शरणार्थी, चाड के अस्थाई आश्रय स्थलों में रह रहे हैं.

उप प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक भंडार से, लगभग 70,000 ज़रूरी राहत सामग्री, चाड और सूडान पहुँचाने की योजना बनाई गई है.

उन्होंने कहा, “और मिस्र में, यूएनएचसीआर व अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ, ​​​​सूडान से आने वाले लोगों की ज़रूरतों का आकलन करने के लिए एक मिशन का संचालन कर रही हैं. संयुक्त राष्ट्र और मिस्र रेड क्रेसेंट, आने वाले लोगों को पानी, भोजन, व्हीलचेयर व स्वच्छता किट वितरित कर रहे हैं.”

अंतर-एजेंसी कार्रवाई योजना

यूएनएचसीआर, तात्कालिक वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, जल्द से जल्द, एक अंतर-एजेंसी क्षेत्रीय शरणार्थी प्रतिक्रिया योजना पर भी काम कर रहा है.

इस बीच, दानदाताओं से अपील में, संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के कार्यालय (OCHA) ने मंगलवार को कहा कि सूडान में राहत कार्रवाई के लिए, सहायता एजेंसियाँ व भागीदार, 1.5 अरब डॉलर के भारी फण्डिंग अन्तराल का सामना कर रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र आपातकालीन राहत समन्वयक, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स, इस क्षेत्र के दौरे पर हैं और शीघ्र ही पोर्ट सूडान के संयुक्त राष्ट्र मानवीय केंद्र जाएँगे.

वरिष्ठ राहतकर्मी, राजधानी ख़ारतूम से स्थानांतरण बाद, लाल सागर तट पर स्थित सूडानी शहर से अस्थाई रूप से काम कर रहे हैं, और लाखों सूडानी लोगों की सेवार्थ, संयुक्त राष्ट्र सहायता प्रयासों व पुनर्निर्माण में हाथ बँटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

सूडान में हिंसा से विस्थापित लोगों का चाड आना जारी है.

महिलाओं का समर्थन: यूएन न्यूज़ साक्षात्कार

यूएन न्यूज़ के साथ एक गहन साक्षात्कार में, सूडान में संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था, यूएन वीमेन की प्रतिनिधि, अज़ारतौ फतौ नदिये ने कहा कि वे युवा सूडानी महिलाओं को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान कर रहे हैं, जिससे वो ऐप तकनीक के ज़रिए ख़ुद को सुरक्षित रखते हुए, भोजन व दवाएँ एवं संघर्षरत इलाक़ों से दूर जाने के सुरक्षित मार्ग खोज सकें.

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, लिंग आधारित हिंसा के मामलों और आरोपों पर नज़र रख रहा है, और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय, ओएचसीएचआर के साथ मिलकर पीड़ितों की सहायता के लिए क़दम उठा रहा है, जिससे अंततः अपराधियों की जवाबदेही तय करने में मदद मिल सके.

उन्होंने कहा कि पाँच साल सूडान में रहने के बाद, उन्होंने दृढ़ता से महसूस किया है कि सूडान के लोगों को “एक शान्तिपूर्ण देश में रहने का हक़ हैं. उन्हें विकास का अधिकार है. वे सुरक्षा पाने के हक़दार हैं.”

पूरा इंटरव्यू यहाँ सुनें:

 

 



From संयुक्त राष्ट्र समाचार

Anshu Sharma

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