यूएन एजेंसी में एकीकृत स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निदेशक डॉक्टर रूडी ऐगर्स ने कहा कि अधिकांश देशों में अति-आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की, लोगों के लिए बहाी शुरू हुई है, जोकि स्वागतयोग्य है. वैश्विक महामारी के कारण ज़रूरतमन्द समुदाय इससे वंचित रह गए थे.
“मगर, हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि सभी देश, स्वास्थ्य सेवाओं की पुनर्बहाली में पसरी खाई को पाटना जारी रखें और अब तक जो सबक़ लिए गए हैं, उनसे भविष्य में बेहतर तैयार और सुदृढ़ स्वास्थ्य प्रणालियों का निर्माण करें.”
बहाली, सहन-सक्षमता में निवेश
देशों के अनुसार नियमित स्वास्थ्य सेवाओं में उपजे व्यवधान में गिरावट आनी शुरू हो चुकी है, मगर साथ भविष्य का लिए मज़बूत सहन-सक्षमता निर्माण और पुनर्बहाली में निवेश की आवश्यकता पर बल दिया गया है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने ‘Fourth round of the global pulse survey on continuity of essential health services during the COVID-19 pandemic: November 2022–January 2023’ नामक अपनी अन्तरिम रिपोर्ट मंगलवार को प्रकाशित की है.
इस सर्वेक्षण में 139 देशों ने हिस्सा लिया और आँकड़े बताते हैं कि क़रीब एक चौथाई स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान अब भी बक़रार है.
84 देशों में, व्यवधान का सामना करने वाली सेवाओं का प्रतिशत जुलाई-सितम्बर 2020 में 56 प्रतिशत दर्ज किया गया था, जोकि नवम्बर 2022 – जनवरी 2023 में घटकर 23 प्रतिशत रह गया.
प्रतिभागियों ने कोविड-19 के सन्दर्भ में और उससे इतर, मौजूदा चुनौतियों से निपटने में, विश्व स्वास्थ्य संगठन से समर्थन की भूमिका को रेखांकित किया है.
इससे मन्तव्य स्वास्थ्य कार्यबल को मज़बूती प्रदान करने, स्वास्थ्य सेवाओं में निगरानी क्षमता का निर्माण करने और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल तंत्र सृजित करने से है.
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
वर्ष 2022 के अन्त तक, अधिकांश देशों ने सेवाओं में बहाली के आंशिक संकेत प्राप्त होने की बात कही है. इनमें यौन, प्रजनन, मातृत्व, नवजात शिशु, बाल व किशोर स्वास्थ्य, पोषण, प्रतिरक्षण, और मलेरिया, एचआईवी और अन्य यौन संचारित बीमारियों के लिए सेवाएँ हैं.
नए सर्वेक्षण में कम संख्या में ही देशों ने 2020 से 2021 के दौरान अति-आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं और सेवा वितरण मंच के दायरे में सुनियोजित ढंग से कमी लाए जाने की बात कही.
इसे स्वास्थ्य सेवा में वैश्विक महामारी से पूर्व के स्तर की ओर लौटने की ओर एक अहम क़दम के रूप में देखा गया है.
इसके अलावा, अपनी राष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला व्यवस्था में व्यवधान के बारे में जानकारी देने वाले देशों की संख्या भी पिछले एक वर्ष में क़रीब 50 फ़ीसदी देशों (59 प्रतिभागी देशों में 29) से घटकर, लगभग एक चौथाई (66 प्रतिभागी देशों में 18) रह गई.
रिपोर्ट के अनुसार, सुधार के संकेतों के बावजूद, विभिन्न देशों में स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान बरक़रार है और यह सभी क्षेत्रों और आय स्तर में दर्ज किया गया है.

बताया गया है कि मांग और आपूर्ति से जुड़े कारक इस रुझान को हवा दे रहे हैं. जैसेकि स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की मांग का कम स्तर, स्वास्थ्यकर्मियों और क्लीनिक, दवाओं व चिकित्सा उत्पादों संसाधनों की सीमित उपलब्धता है.
इसके अलावा, देशों को उन पुराने स्वास्थ्य मामलों से भी जूझना पड़ रहा है, जिन पर व्यवधान के कारण पहले ध्यान नहीं दिया जा सका था. जैसेकि स्वास्थ्य जाँच, निदान और ग़ैर-संचारी रोगों का उपचार.
इसके उन लोगों के लिए नकारात्मक नतीजे हो सकते हैं, जिन्हें समय पर स्वास्थ्य जाँच नहीं मिल पाती है.
महत्वपूर्ण सबक़
सर्वे में हिस्सा लेने वाले अधिकांश देशों ने वैश्विक महामारी के दौरान लिए गए सबक़ पर अमल करना शुरू कर दिया है, और व्यवधान के दंश को कम करने के लिए जिन सेवाओं की शुरुआत की गई थी, वे अब नियमित स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था का हिस्सा हैं.
इनमें टेलीमेडिसन सेवाएँ, घर-केन्द्रित स्वास्थ्य देखभाल, स्वास्थ्यकर्मियों की उपलब्धता, क्षमता और उनके लिए समर्थन को मज़बूत करने के लिए उपाय शामिल हैं.
इसके अतिरिक्त, दवाओं की ख़रीद व उनके वितरण, नियमित सामुदायिक संचार और निजी क्षेत्र के प्रदाताओं के साथ साझेदारी समेत अन्य पहल हैं.
इस क्रम में, तीन-चौथाई देशों दीर्घकालिक व्यवस्था बहाली, सृदृढ़ता निर्माण और तैयारी के लिए अतिरिक्त धनराशि आवंटित किए जाने की जानकारी दी है.