यूएन बाल एजेंसी ने शुक्रवार को कहा है कि इस दक्षिण-अफ़्रीकी देश ने दीर्घकालिक व निरन्तर चले आ रहे कुपोषण को कम करने में वैसे तो, हाल के समय में कुछ प्रगति की है, मगर ये प्रगति, खाद्य असुरक्षा के साथ-साथ कुछ अन्य जटिल चुनौतियों के कारण ख़तरे में पड़ गई है.
इन चुनौतियों में बार-बार आने वाले जलवायु झटके, रोकथाम योग्य बीमारियों के फैलाव और आर्थिक अस्थिरता शामिल हैं.
मलावी को इस वर्ष मार्च में आए चक्रवर्ती तूफ़ान फ़्रैडी के क़हर का भी सामना करना पड़ा और ये देश अब भी उस तूफ़ान के विनाश की जकड़ में है जिसमें कम से कम 6 लाख 59 हज़ार लोग विस्थापित हुए, जिनमें बहुत से बच्चे हैं.
इस बीच है हैज़ा के निरन्तर फैलाव के कारण लगभग 1,750 लोगों की मौत हो चुकी है.
एक अस्वीकार्य स्थिति
यूनीसेफ़ के देश प्रतिनिधि गियानफ्रेंको रॉटिगलियानो का कहना है, “मलावी में बच्चे वैश्विक बहुसंकटीय स्थिति के आख़िरी छोर पर हैं. बढ़ते जलवायु संकटों, बीमारियों के फैलाव, और वैश्विक आर्थिक मन्दी से भड़की खाद्य असुरक्षा ने लाखों बच्चों की ज़िन्दगी को तहस-नहस करने और बाधित करने का जोखिम उत्पन्न कर दिया है.”
उन्होंने कहा, “लगभग पाँच लाख बच्चों को कुपोषण से पीड़ित होने की सम्भावनाओं को देखना अस्वीकार्य है. अगर तुरन्त सहायता कार्रवाई नहीं की गई तो, बेहद निर्बल हालात वाले इन बच्चों के लिए, नतीजे बहुत घातक होंगे.”
सहायता में तेज़ी
यूनीसेफ़ ने मलावी के लिए नई अपील जारी की है जिसमें बताया गया कि बच्चों में, पिछले पाँच वर्षों के दौरान कुपोषण बढ़े हैं, और उनमें हाल के महीनों में तो बहुत तेज़ी आई है.
ऐसा अनुमान है कि इस वर्ष पाँच साल से कम आयु के लगभग 62 हज़ार बच्चे, अत्यन्त गम्भीर कुपोषण के जोखिम में हैं.
यूएन बाल एजेंसी ने आरम्भ में तो 5.24 करोड़ डॉलर की अपील जारी की थी, जिसे 65 लाख लोगों की मदद करने के उद्देश्य से, बढ़ाकर 8.77 करोड़ डॉलर कर दिया गया है. इस ज़रूरमन्द आबादी में लगभग आधी संख्या बच्चों की है.
दार्घकालीन समाधानों की दरकार
यूनीसेफ़ ने वर्ष 2023 की पहली तिमाही में, पाँच वर्ष से कम उम्र के लगभग एक लाख, 40 हज़ार, 300 बच्चों की गम्भीर कुपोषण जाँच कराने में, मलावी के अधिकारियों की मदद की.
इस संख्या में से, 522 बच्चों में, अत्यन्त गम्भीर कुपोषण की पहचान की गई और उन्हें आगे के उपचार के लिए, स्वास्थ्य सेवाओं को भेजा गया.
यूनीसेफ़ के देश प्रतिनिधि गियानफ्रेंको रॉटिगलियानो ने आगाह करते हुए कहा, “निर्धन और निर्बल परिस्थितियों वाले और बच्चों वाले परिवार, बढ़ी हुई सहायता के अभाव में, बुनियादी सेवाओं, अनिवार्य आपूर्तियों, और सामाजिक सहायता से वंचित रह जाएंगे.”
उन्होंने साथ ही इस ज़रूरत को भी रेखांकित किया कि तात्कालिक सहायता से भी आगे देखने के लिए, “ये बहुत अहम है कि हम दीर्घकालीन समाधानों में संसाधन निवेश करें, जिनमें व्यवस्थाओं को मज़बूत करना, बीमारियों के बारम्बार होने वाले फैलाव और मानवीय आपदाओं का सामना करने में समुदायों की बेहतर सहनक्षमता का निर्माण करना शामिल है.”